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दुर्गावती के बलिदान पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

'देश के लिए आत्मोत्सर्ग के लिए भी तत्पर रहना चाहिए'

छात्रों ने वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्र भी प्रदर्शित किए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 27 June 2015 04:52:10 AM

rani durgawati

जबलपुर। वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर मध्य प्रदेश शासन के महिला सशक्तिकरण संचालन के संभागीय बाल भवन गढ़ा फाटक जबलपुर में साहित्यकार कवि मोहन शशि, बाल भवन के संचालक गिरीश बिल्लोरे, आसुरिड संस्था से शिखा पांडेय, निदान संस्थान से मनीष व्यास एवं अर्चना जोशी ने रानी दुर्गावती बलिदान दिवस का भावनात्मक स्मरण किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि मोहन शशि ने बच्चों को वीरांगना रानी दुर्गावती के आत्मोत्सर्ग की कहानी सुनाते हुए कहा कि उनका आत्मोत्सर्ग हमें आज़ादी की कीमत से परिचित कराता है। उन्होंने कवि पूरणचंद्र श्रीवास्तव की पंक्तियों का ज़िक्र किया और कहा कि बलिदानी वीरांगना की समाधि पर जाने मात्र से मन भावातिरेक से भर जाता है, हमें सदा देश के लिए आत्मोत्सर्ग के लिए भी तत्पर रहना चाहिए।
बाल कलाकार कुमारी नीति शर्मा के मंच संचालन में बाल भवन के कलाकारों ने वीरांगना रानी दुर्गावती पर आधारित लोक गीत, संगीत अनुदेशक शिप्रा सुल्लेरे के निर्देशन में लोकनृत्य पंथी, करमा, बधाई, राई की प्रस्तुति, लोकनृत्य कार्यशाला प्रशिक्षक इंद्र पांडेय और कुमारी अंकिता गिनारा के निर्देशन में सराही गई। बाल भवन के चित्रकला के छात्रों ने वीरांगना रानी दुर्गावती के चित्र भी प्रदर्शित किए। इस अवसर पर प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि कवि मोहन शशि ने पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में लोकगीतों को सार्थक रजक, सजल सोनी, करन द्विवेदी, हर्ष सोंधिया, देव कुमार, राम कोरी और लोकनृत्यों में कुमारी वंशिका दुबे, आयुषि तिवारी, शिवानी विश्वकर्मा, प्रियंका सानी, मिनी दयाल, प्रतीक्षा सोनी, अंजली रैकवार, हर्षिता गुप्ता, परिधि जैन, आशी जैन आदि बाल कलाकारों ने प्रस्तुतियां दीं। आभार प्रदर्शन पीयूष खरे ने किया।

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