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गुरु अमरदासजी का प्रकाश पर्व मनाया गया

सेवा और प्रेम भावना से सराबोर गुरुवाणी का गायन

बच्चों व स्त्रियों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 25 May 2015 12:31:33 AM

guru amrdasji ka prakaash parv

लखनऊ। 'साचे साहिबा किआ नाही घर तेरे' और 'भल्ले अमरदास गुण तेरे तेरी उपमा तोहे बनि आवै' जैसे गुरु शबदों के साथ जब रागी ग्रंथी सभा लखनऊ के रागी जत्थों नें गुरुद्वारा श्रीदशमेश गुरु सिंह सभा राजाजीपुरम में तीसरे सिख गुरु अमरदासजी के प्रकाश पर्व को समर्पित विशेष गुरमति कीर्तन व कथा समागम का आरंभ किया तो संगत मनोहर गुरुवाणी के इस सामूहिक गायन से भाव विभोर हो गई। सभी रागी जत्थों ने सेवा और प्रेम भावना से सराबोर गुरुवाणी का गायन करके गुरु अमरदासजी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए और संगत को निहाल किया। बासठ वर्ष की आयु होने के बाद भी गुरु अमरदासजी ने अपनी सेवा और समर्पण से ऐसा महान आदर्श स्थापित किया कि गुरु अंगददेवजी ने उन्हें अपने बाद गुरता गद्दी सौंप कर सेवा भावना को सर्वोच्च सम्मान का अधिकारी बना दिया।
कथा समागम में विशेष रूप से उपस्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी के चेयरमैन व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री राजकिशोर मिश्र का गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष सरदार प्रितपाल सिंह छाबड़ा ने सिरोपा देकर सम्मान किया। ज्ञानी देविंदर सिंह दर्दी ने अपनी कथा में गुरु अमरदासजी की भट्ट कवियों की महिमा पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर आयोजित गुरुवाणी आर्ट प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया गया। सभा के महासचिव सरदार किरपाल सिंह भाटिया व धार्मिक सचिव डॉ सत्येंद्रपाल सिंह ने घोषणा की कि बच्चों व स्त्रियों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने का क्रम भविष्य में भी जारी रहेगा और इन प्रतियोगिताओं को राज्य स्तरीय व राष्ट्रस्तरीय रूप दिया जाएगा। सरबत के भले की अरदास के साथ गुरु का लंगर वितरित किया गया, जिसे सभी धर्मों के लोगों ने बिना किसी भेदभाव के छका। सुखमनी साहिब सेवा सोसाइटी के सदस्यों ने सुखमनी साहिब का पाठ करके नितनेम संपन्न किया और श्रीगुरुग्रंथ साहिब के अखंड पाठ साहिब की संपूर्णता हुई।

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