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भारत सरकार ने राहत के सारे रिकॉर्ड तोड़े

नेपाल के संकटग्रस्त लोगों की तन-मन-धन से मदद

भारतीय संगठनों में नेपाल की आर्थिक मदद की होड़

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 29 April 2015 05:01:21 AM

relief records in nepal earthquake

नई दिल्ली/ काठमांडू। नेपाल पर आई महाविपदा से पूरी तरह द्रवित हिंदुस्तान नेपाल के संकटग्रस्त लोगों की तन-मन-धन से मदद को उतर आया है। भारतीय सेना, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारत के स्वैच्छिक आर्थिक संगठनों, धर्मार्थ ट्रस्ट्रों ने अपने-अपने तरीके से अपने को नेपाल के संकट में उतार दिया है। यूं तो दुनियाभर से नेपाल को हर तरह ‌की मदद पहुंच रही है, किंतु दुनिया वाले भी देख रहे हैं कि भारत सरकार ने नेपाल के लिए जैसे राजकोष के द्वार खोल दिए हैं और भारत की जनता वहां बचाव कार्य में जीजान से लगी है। नेपाल में भूकंप से जो जन-धन कालकल्वित हो गया है, उसकी भरपाई तो कभी नहीं हो सकती, किंतु बाकी को बचाने में भारतीयों के अभियान से नेपाली जनता का इसी से एक दर्द दूर हो रहा है कि भारत उसके संकट में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ है और जिससे जो बन पड़ रहा है, उसे वह कर रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भूकंप राहत अभियान के संचालक हैं और उन्होंने भारत सरकार के सभी संसाधन नेपाल की सहायता में लगा दिए हैं।
भारत ने नेपाल की भूकंप त्रासदी को अपने ऊपर आई त्रासदी माना है। भारत का प्रत्येक नागरिक अपने को निजीतौर पर आहत महसूस कर रहा है। भारतीय सेना ने अपने को भूकंप पीड़ितों को समर्पित कर रखा है। नेपाल में फंसे दूसरे देशों के नागरिक भी भारतीय सेना की सहायता ले रहे हैं। नेपाल में भारतीय सेना का मानवीय दृष्टिकोण किसी से छिपा नहीं है, भारतीय सेना उन इलाकों में भी पहुंच गई है, जो भूकंप से ग्रस्त हैं और अत्यंत दुर्गम हैं। काठमांडू के बाहर ऐसे कई इलाके हैं, जहां राहत अभियान चलाना कठिन से कठिनतर है, किंतु भारतीय सेना अपनी जान की परवाह किए बिना, संकटग्रस्त लोगों को निकाल रही है। भारतीय सेना पर केवल इन्हीं लोगों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि वो भी उसके बचाव अभियान का हिस्सा हैं, जो दूसरे देशों के हैं। दवाईयां, कंबल, टैंट, भोजन के पैकेट, पानी और आहार की दूसरी वस्तुएं नेपाल जा चुकी हैं और हालत यह है कि उन्हें रखने की जगह कम पड़ गई है। हवाई सेवाओं से भोजन के पैकेट और आवश्यक वस्तुएं उपलब्‍ध कराई जा रही हैं। इस भूकंप में मरने वालों की संख्या दस हजार के पार चले जाने की उम्मीद है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने नेपाल भूकंप पीड़ितों की मदद करने के लिए आगे आए स्वैच्छिक संगठनों, न्यासों के आवेदनों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज करने का फैसला किया है। इन स्वैच्छिक संगठनों, न्यासों ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 11 (1) (सी) के तहत अनुमति मांगी है। विभाग की यह कोशिश है कि वह आवेदन प्राप्त करने के दो दिनों के भीतर इस पर कार्रवाई करनी शुरू कर दे। इस तरह के आवेदनों के साथ संलग्न करने वाले दस्तावेजों की जानकारी आयकर विभाग की वेबसाइट http://www.incometaxindia.gov.in पर अपलोड कर दी गई है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने नेपाल भेजी इंसुलिन
प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, पेंशन एवं पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने अपनी ओर से भूकंप प्रभावित नेपाल में मधुमेह के मरीजों के लिए एक करोड़ रुपए मूल्‍य की 75,000 इंसुलिन की शी‍शियां मुफ्त भेजने की व्‍यवस्‍था की है। डॉ जितेंद्र सिंह जाने-माने मधुमेह विशेषज्ञ भी हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेपाल जैसे छोटे देश में 7 लाख से अधिक लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और इस खेप में इंसुलिन के विभिन्‍न अभिरूप भेजे जा रहे हैं। प्रमुख इंसुलिन निर्माता के सहयोग से यह व्‍यवस्‍था की गई है। उन्होंने कहा कि इससे इंसुलिन पर निर्भर या ऐसी परिस्थितियों में जहां राहत कार्य में देरी हो रही है, इंसुलिन की आवश्‍यकता वाले मरीजों के लिए यह बड़ी मदद होगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत और नेपाल के डॉक्‍टरों ने शैक्षणिक और मधुमेह की देखभाल में हमेशा एक-दूसरे का सहयोग किया है। उन्‍होंने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान वे खुद भी नेपाल में आयोजित मधुमेह कैंपों और कई मधुमेह शैक्षणिक कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं, इसलिए उनके जैसे डॉक्‍टरों के लिए ऐसे अवसरों पर आगे बढ़कर मदद करना एक जिम्मेदारी का कार्य है। उन्‍होंने कहा कि अगर आवश्‍यकता पड़ी तो स्‍वैच्छिक स्रोतों से और इंसुलिन तथा अन्‍य जीवनरक्षक दवाइयां नेपाल भेजने की व्‍यवस्‍था की जाएगी। उन्‍होंने चिकित्‍सक बंधुओं और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं से जुड़े लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देख-रेख के तहत भारत सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर दी जा रही सहायता में सहयोग देने की अपील की।
फूड कंपनियां भी मदद को आईं
खाद्य प्रसंस्‍करण मंत्री ने नेपाल में भूकंप से प्रभावित लोगों के लिए प्रसंस्‍कृत खाद्य उद्योग से डिब्‍बाबंद खाद्य पदार्थ दान करने की अपील की है। भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय ने प्रसंस्‍कृत खाद्य पदार्थों की डिलीवरी करने की जिम्‍मेवारी ली है। मंत्रालय ने मेसर्स नेस्‍ले द्वारा दान किए गए मैगी नूडल्‍स के दो लाख पैकेटों, मेसर्स आईटीसी की ओर से दान ईप्‍पी नूडल्‍स के दो लाख पैकेटों और मेसर्स सीजी ग्रुप के वाईवाई नूडल्‍स के 12000 पैकेटों की डिलीवरी की गई है। अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्‍करक संघ मेसर्स हल्‍दीराम की नमकीन के 25000 पैकेटों, बीकानेरवाला की नमकीन के 5000 पैकेटों और मेसर्स बीटीडब्‍ल्‍यू की नमकीन के 4000 पैकेटों को भी नेपाल भेजा रहा है। पेप्‍सीको इंडिया ने भी एक लीटर पानी वाली 60000 बोतलों को भेजने की पुष्टि की है, जिन्‍हें 5000 पेटियों में रखा गया है। खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने यहां कहा कि त्रासदी कभी भी हो सकती है, अत: हम सभी को इसके लिए तैयार रहना चाहिए और अपनी ओर से कुछ योगदान करना चाहिए। उन्‍होंने भूकंप से प्रभावित लोगों के लिए देश भर में फैली खाद्य प्रसंस्‍करण इकाइयों से तैयार डिब्‍बाबंद खाद्य पदार्थ, बोतल बंद पानी और रोजमर्रा इस्‍तेमाल वाले अन्‍य पदार्थ भेजने की अपील की। नेपाल में प्रभावित लोगों के लिए खाद्य पदार्थों को वायुसेना के विमानों से भेजा जा रहा है।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने नेपाल के लिए 1500 किलो बिस्‍कुट और 500 किलो नमकीन पैकेट भेजे हैं। उत्‍तर प्रदेश सरकार ने पेयजल के 10 क्रेट, 10 क्रेट बिस्‍कुट, 1 क्रेट दवाइयां और 22 डॉक्‍टरों की एक मेडिकल टीम नेपाल भेजी है। यह राहत सामग्री और मेडिकल दल सोमवार सुबह नेपाल पहुंच गया, जिसे नेपाल प्रशासन प्रयोग करेगा। उत्‍तर प्रदेश सरकार की 59 बसें काठमांडू के निकट नारायण घाट क्षेत्र पहुंच गई हैं। ये सभी काठमांडू गई हैं। उत्‍तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को 41 बसें नेपाल भेजीं। प्रदेश सरकार नेपाल में राहत कार्यों के लिए 100 बसें प्रदान कर रही है। बिहार सरकार की 10 बसें पोखरा पहुंच गई हैं और राहत कार्य में तैनात हैं। नेपाल में खराब मौसम के कारण 5 बसें बाद में पोखरा पहुंची। उत्‍तराखंड सरकार की 25 बसें सोमवार सुबह नेपाल पहुंच गई थीं, ये फंसे हुए लोगों को निकालने में मदद कर रही हैं। एनडीआरएफ के दलों ने 10 व्‍यक्तियों को जीवित बचाया है और 60 मृत व्‍यक्ति का पता लगाया है। एनडीआरएफ की 5वीं बटालियन के एक यूएवी (नेत्र) को नेपाल भेजा गया है। भारत ने अब तक 22 टन खाने के पैकेट और सूखा राशन, 50 टन पेयजल, दो टन दवाईयां, 40 टैंट और 1400 कंबल नेपाल भेजे हैं।
भारतीय वायुसेना की रैपिड ऐरो मेडिकल टीम, जिसमें तीन मेडिकल अधिकारी, 24 मेडिकल सहायक और 25 बिस्‍तरों वाला अस्‍पताल, स्‍वास्‍थ्‍य उपकरणों के साथ ओपीडी और डिस्‍पेंसरी मॉड्यूल नेपाल भेजे गए हैं। भारतीय सेना के सेना फील्‍ड अस्‍पताल (तेजपुर और सुकना) से फॉरवर्ड सजिर्कल सेंटर जिसमें आर्थो, मेडिकल स्‍पेशल, मेडिकल ऑफिसर और अन्‍य विशेषज्ञ शामिल हैं, नेपाल भेजे गए हैं। यह सभी प्रतिदिन 12 शल्‍य चिकित्‍सा ऑपरेशन कर सकते हैं। इसके साथ ही विभिन्‍न मात्राओं के ऑक्‍सीजन सिलेंडर (1246 लीटर के 40, 623 लीटर के 40 और 200 लीटर के 40) और 4 ऑक्‍सीजन कंसंट्रेटर भी नेपाल भेजे गए हैं। स्‍वास्‍थ्‍य व परिवार कल्‍याण मंत्रालय का एक मेडिकल दल जिसमें 34 कर्मी, 100 स्‍ट्रेचर और तीन टन मेडिकल सामग्री शामिल है, नेपाल रवाना की गई है। उत्‍तराखंड से दो डॉक्‍टर और एक फार्मासिस्‍ट भी नेपाल गए हैं।
वायुसेना की कल तक कुल 43 बचाव और राहत उड़ानें संचालित हो चुकी हैं, जिनमें परिवहन विमानों की 16 और हे‍लीकॉप्टर की 27 उड़ानें शामिल हैं। राहत और बचाव कार्यों में चार सी-17, तीन सी-130, तीन आईएल-76, दो एएन-32, छह एमएलएच और एआरसी का एक आईएल-76 विमान शामिल हैं। नेपाल सेना के काठमांडू स्थित मुख्‍यालय में इनमारसेट की स्‍थापना की गई है और दो और सेट की स्‍थापना की जा रही है। इसके साथ ही समन्‍वय निदेशालय, पुलिस बेतार का 7 कर्मियों का दल एचपी बैरेट सेट 100 डब्‍ल्‍यू (15), वीएचएफ स्‍टैटिक 20 डब्‍ल्‍यू (50) और वीएचएफ हैंड हेल्‍ड 4 डब्‍ल्‍यू (200) के साथ राहत और बचाव कार्यों में तैनात है।

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