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'उलेमाओं की तौहीन ही मुस्लिमों की परेशानी'

मदरसा इस्लामिया के इजलास में हाफिजों की दस्तारबंदी

कुरआन-ए-करीम को अपनी ज़िंदगी में उतारें-मुफ्ती

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 19 April 2015 07:01:41 AM

mufti affan mnsurpuri

बिजनौर। मदरसा इस्लामिया अरबिया इश्‍आत उल उलूम हल्दौर में सालाना इज़लास-ए-आम व दस्तार-ए-फज़ीलत का आगाज़ किया गया। जलसे की सदारत बुज़ुर्ग आलिम-ए-दीन हजरत मुफ्ती अब्दुल रहमान ने की और निजामत मौलाना सलीम अहमद ने एवं सरपरस्ती मौलाना हसीनुद्दीन बिजनौरी ने अंजाम दी। जलसे का आगाज़ मदरसे के तालिब-ए-इल्म मोहम्मद हाशिम की तिलावते कलाम पाक से हुआ और नाते पाक मदरसे के तालिब-ए-इल्म परवेज आलम ने पढ़ीं। जलसे में दीगर तलबा व तालिबात ने तकरीर और मुकाबले पेश किए। उसके बाद तिलावते कलाम पाक हजरत कारी हसीबुर्रहमान मानियावाला और नाते पाक हाफिज अब्दुल सलाम किरतपुरी ने पेश की।
जलसे में देहली से तशरीफ लाए हजरत मुफ्ती अकील अहमद ने कुरआन और नमाज़ की फजीलतों का बयान करते हुए इरशाद फरमाया कि अगर मुसलमान कुरआन-ए-करीम को अपनी ज़िंदगी के अंदर दाखिल कर ले तो वह हमेशा दुनिया और आखिरत में कामयाब और इज्जत पाने वाला रहेगा, लेकिन अफसोस कि आज के मुसलमानों ने कुरआन को छोड़ दिया है, वे उलेमाओं की तौहीन और इमामों की बुराईयां करने लगे हैं, जिसकी वजह से मुसलमान हर जगह ज़लील और रुसवा हो रहे हैं। उन्होंने फरमाया कि अल्लाह का वादा है कि मैं ईमान वालों को हर जगह इज्ज़त दूंगा।
अमरोहा से तशरीफ लाएं हज़रत मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी ने इस्लाहे मुआशरा हुस्ने अख्लाक को बयान करते हुए कहा कि इज्ज़त और जिल्लत अल्लाह के कब्जे में हैं और इज्ज़त मिलती है अल्लाह और उसके रसूल के बताए गए तरीके पर चलने से, मगर आज मुसलमानों ने दोनों ही बातों को छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे नबी मौहम्मद स.अ. ने अपने जानी दुश्मनों को भी माफ किया, इसलिए बेहतर शख्स वो है, जो हक पर होने के बावजूद इख्तिलाफात को खत्म करे और खुशी-खुशी जुल्म करने वालों को भी माफ कर दें। इसके बाद हजरत मुफ्ती नफीस ने माल का हक अदा न करने वालों की सजा को बयान किया।
मदरसे से हाफिज होने वाले आठ तलबा हाफिज मौहम्मद सादिक, हाफिज मौहम्मद आमिर, मौहम्मद जैद, हाफिज मौहम्मद अजमल, मौहम्मद जुबैर, मौहम्मद शमीम, हाफिज उसामा, हाफिज आसिफ को दस्तारे फजीलत दी गई। सदरे जलसा हज़रत मुफ्ती अब्दुल रहमान की दुआ पर जलसा खत्म हुआ। शरीके इजलास में मौलाना इरशाद अहमद कासमी सदर मुदर्रिस मदरसा हाजा, कारी मौहम्मद आमिर, कारी इनाम अली, हाफिज मौहम्मद शाकिर, मौहम्मद वसीम, मुफ्ती मेहर आलम, कारी अदनान, मौलाना जाहिद, मौलाना राशिद, मुफ्ती आफाक, मौलाना हबीबुर्रहमान, कारी रियाज अमहद आदि व दीगर उलेमा इकराम ने शिरकत की।

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