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नरड़ पंचायत भवन में उपस्वास्थ्य केंद्र?

कैथल सीएमओ को नहीं मालूम यह उपस्वास्थ्य केंद्र

सरकार का ग्रामीण स्वास्‍थ्य सेवाओं पर ध्यान नहीं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 27 March 2015 05:11:46 PM

sub-health center of nard village

कैथल। जिस चित्र को आप देख रहे हैं, यह हरियाणा सरकार के बड़बोले विकास और नागरिकों में सार्वजनिक जनसुविधाओं के प्रति जागरुकहीनता की एक संयुक्त बानगी है। यह नरड़ गांव का उपस्वास्थ्य केंद्र है, जो बंद पड़ा है और गांव के लोग अब इसके परिसर का उपयोग अपने मवेशियों या कंडे पाथने के लिए कर रहे हैं। हरियाणा में स्वास्‍थ्य सेवाओं पर तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने विकास के नाम पर ऐसे ही करोड़ों रुपए खर्च कर डाले और सार्वजनिक स्‍थानों को मवेशियों और कंडों का अड्डा बनने दिया। राज्य के स्वास्‍थ्य अधिकारियों को भी अपने अस्पतालों का कुछ नहीं पता। यह दृश्य प्रशासन और स्‍थानीय लोगों की जिम्मेदारी पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।
कैथल जिले का स्वास्‍थ्य प्रशासन कहां है? प्रशासन की अनदेखी से गांववाले झोला छाप डाक्टरों की शरण में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार ग्रामीण स्तर पर प्रारंभिक चिकित्सा सुविधा दी होती तो उपस्वास्थ्य केंद्र परिसर में लोग कंडे नहीं पाथते। हरियाणा में अधिकांश गांवों तक चिकित्सा सुविधाएं केवल फाइलों में हैं। गांव में उपस्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सा के लिए चिकित्सक नहीं है और ऐसा ही हाल राज्य में और जगहों पर भी है। बहुत सारे चिकित्सा केंद्र बंद पड़े हैं। यह भी सुनने को मिला है कि अनेक उपस्वास्थ्य केंद्रों पर कागजों में चिकित्सकों की नियुक्ति दिखा दी गई है, मगर स्वास्‍थ्य विभाग के स्‍थानीय अधिकारियों की सांठ-गांठ से न चिकित्सक गांव जाते हैं और ना ही अस्पताल का स्टाफ।
नरड़ गांव में खोला गया यह उपस्वास्थ्य केंद्र मात्र तीन दिन खुलने के बाद से अब तक बंद पड़ा हुआ है। उसमें जाने का रास्ता तक अवैध कब्जे में है और लोग यहां शौच तक जाते हैं। पंचायत भवन में बने इस उपस्वास्थ्य केंद्र की उपेक्षा पर गांव के धर्मेंद्र, राजपाल, महेंद्र का कहना है कि इससे झोला छाप डाक्टरों को बढ़ावा मिल रहा है। कैथल के सीएमओ डॉ रवींद्र सिंह को तो मालूम ही नहीं है कि उनके अधीन नरड़ में कोई उपस्वास्थ्य केंद्र है और उसका ये हाल है। सीएमओ का कहना है कि उनकी जानकारी में नरड़ गांव में कोई भी उपस्वास्थ्य केंद्र नहीं है और यदि यह किसी दूसरे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन है तो वे इसका पता करेंगे। ऐसा लगता है कि भाजपा की खट्टर सरकार ने भी ग्रामीण स्वास्‍थ्य सेवाओं पर अभी कोई ध्यान नहीं दिया है, नहीं तो सीएमओ अपने जिले की स्वास्‍थ्य सेवाओं के बारे में इतने अनभिज्ञ न होते।

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