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भारतीय नौसेना में 'एलसीए' की विशाल छलांग

रक्षामंत्री की नौसेना इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को बधाई

पहला स्वदेशी तकनीक आधारित चौथी पीढ़ी का लड़ाकू

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 22 December 2014 04:59:48 AM

successful flight test of 'lca'

पणजी। भारतीय नौसेना के लिए यह एक शानदार पल था, जब उसने 'एलसीए' का सफल उड़ान परीक्षण किया। यह पहला स्वदेशी तकनीक पर आधारित चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे विमान वाहक पोत से संचालित किया जा सकता है, इस लड़ाकू विमान को समुद्री तट पर बड़ी आसानी से उतारा जा सकता है। 'एलसीए' का परीक्षण गोवा में आईएनएस हंसा से किया गया। इस विमान का उड़ान परीक्षण नेशनल फ्लाइट टेस्ट सेंटर के मुख्य पायलट परीक्षण कमोडोर जयदीप मावलंकर ने किया।
विमान का उड़ान परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा। परीक्षण को सफल बनाने के लिए परीक्षण निदेशक कमोडोर जेडी रतुड़ी और सुरक्षा पायलट कैप्टन शिवनाथ दहिया ने किया, जिसमें ग्रुप कैप्टन अनूप कबादवाल, ग्रुप कैप्टन आरआर त्यागी और लेफ्टिनेंट कमांडर विवेक पांडेय ने सहायता की। तत्परता और घटना के लिए विमान की उपलब्धता को एचएएल के कार्यकारी निदेशक पीएस रॉय और एआरडीसी ने संभव बनाया था। नौसेना की इस उपलब्धि के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने नौसेना, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
डॉ अविनाश चंदर एसए, आरएम सचिव डीडीआर एंड डी, डीजी डीआरडीओ ने इस शानदार सफलता पर एलसीए नौसेना के कार्यक्रम दल को बधाई देते हुए कहा कि हमें आज बेहद खुशी है और जल्द ही हम अपने विमानवाहक पोत से अपना स्वदेशी लड़ाकू विमान उड़ते हुए देखेंगे। उन्होंने डॉ तमिलमणि, डीएस एंड डीजी एअरोनॉटिक्स ने इस शानदार सफलता के लिए बधाई दी। एलसीए (नेवी) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह बिल्कुल मजबूती से लैंडिंग कर सके। एलसीए को इस तरह से तैयार किया गया है कि वह 200 मीटर की हवाई पट्टी पर उतर सके, जबकि लैंडिंग के लिए सामान्य तौर पर 1000 मीटर रनवे की जरूरत होती है। यह एक विशेष तरह का उड़ान नियंत्रण नियम है, जो उड़ान के समय पायलट के काम के बोझ को हल्का करता है और उसके हाथों को मुक्त करता है।
यह इसकी पहली सफलता है कि गोवा के समुद्री तट पर स्काई जंप की स्पष्ट तस्वीर इसने ली। यह वैज्ञानिकों, इंजीनियरों के अद्भुत प्रयास का नतीजा रहा है, जिन्होंने नौसेना के विमान को डिजाइन किया है। यह अनुकारी है, पायलटों को जानने में मदद करता है कि कैसे विमान स्काई जंप के दौरान व्यवहार करता है। हवाई परीक्षण दल के लोगों ने शानदार तरीके से इस काम को अंजाम दिया। स्वदेशी भारतीय नौसेना वाहक जनित विमानन कार्यक्रम सचमुच स्काई जंप से शुरू किया गया है। विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि एडीए (वैमानिकी विकास एजेंसी) के एलसीए नौसेना कार्यक्रम एक विजयकारी, उल्लेखनीय और एक शिखर उपलब्धि भरा हुआ कदम है। यह डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं के कई वर्ष के अथक प्रयासों का फल है, जिन्होंने डिजाइन उड़ान परीक्षण, प्रबंधन के जरिए एक शानदार जगह बनाई है। इस दल को सहयोग देने वाली प्रमाणिक एजेंसियों में सीईएमआईएलएसी और क्वालिटी एशुरेंस एजेंसी सीआरई (एलसीए) शामिल है।
आईएनएस हंसा नौसेना वायु स्टेशन ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो मील का पत्थर है। डिजाइन टीम की अगुवाई करने वाले कार्यक्रम के निदेशक एडीए पीएस सुब्रमण्यम निर्देशित डिजाइन टीमों ने सभी प्रणालियों, वाहक जनित विमान की कठोर आवश्यकताओं को पूरा सुनिश्चित किया। कमोडोर सीडी बालाजी परियोजना निदेशक ने एलसीए के रूप में नौसेना और इसके मुख्य डिजाइनर सही अवधारणा के चरण से मामलों के शीर्ष पर काम किया है। समुद्री तट परीक्षण सुविधा ले-ऑफ और गिरफ्तार लैंडिंग के लिए अरेस्टिंग गियर केबल के लिए एक स्की कूद के साथ विमान वाहक को दोहराने के लिए बनाया गया है। इसमें भारतीय नौसेना की भागीदारी, गोवा शिपयार्ड, सीसीई (आर एंड डी) पश्चिम पुणे, आर एंड डी इंजीनियरिंग (ई) पुणे और रूसी एजेंसियों ने इसके डिजाइन में सहयोग और विशेष उपकरण उपलब्ध कराए हैं।

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