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'वास्तविकता से विमुख रहती हैं फिल्में'

पणजी में भारतीय पैनोरमा की ज्यूरी मीडिया से रूबरू

सिनेमा आदमी को करता है संवेदनशीलता से अभिभूत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 23 November 2014 01:39:58 AM

पणजी। पैंतालीसवें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पैनोरमा की ज्यूरी यहां मीडिया से रू-ब-रू हुई। फीचर फिल्म के अध्यक्ष एके बीर ने मीडिया को संबोधित करते हुए पैनोरमा की चयन प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ज्यूरी के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श काफी सकारात्मक रहा, फिल्में या तो वास्तविकता से विमुख रहती हैं या सत्यता में कैद होकर रह जाती हैं, लेकिन ज्यूरी ऐसी फिल्मों के चयन पर अपना ध्यान केंद्रित करती है, जो सच्चाई के आयामों पर केंद्रित होती हैं। उन्होंने कहा कि रचनात्मक गुण, भावनात्मक आयाम और प्रामाणिकता के तीन बुनियादी पैमानों पर आधारित फिल्मों की खूबियां ज्यूरी के जेहन में थीं, ताकि उनमें वास्तविकता एवं सादगी की तलाश पूरी हो सके।
पैनोरमा में तेलुगू फिल्मों की गैर मौजूदगी पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कला के रूप में सिनेमा में कोई भी भाषागत बाधा नहीं होती है और इसमें वास्तविकता को रचनात्मक ढंग से पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम होने के नाते सिनेमा आम आदमी को मनोरंजन के साथ-साथ संवेदनशीलता से भी अभिभूत करता है। भारतीय पैनोरमा ज्यूरी (गैर-फीचर) के सदस्य विवेक मोहन ने कहा कि ज्यूरी का एक सदस्य होने का अनुभव भारत की फिर से खोज करने जैसा है। उन्होंने पूर्वोत्तर की फिल्मों में किए गए अहम योगदान को सराहा।
भारतीय पैनोरमा की ज्यूरी ने 181 फीचर फिल्मों को देखने के बाद 26 फिल्मों का चयन किया है। इसी तरह ज्यूरी ने 100 गैर-फीचर फिल्मों को देखने के बाद 15 फिल्मों का चयन किया है। ज्यूरी के सदस्यों में अभिराम भदकामकर, बाबू कामब्रथ, आर बुवाना, आयनम डोरेन, शीला दत्ता और विवेक मोहन शामिल थे और फीचर फिल्मों की ज्यूरी में एके बीर, सतरूपा सान्याल, विनोद गनात्रा, गंगा राजू गुन्नम, उत्पल बोरपुजारी, आयनम गौतम सिंह, गौतमन भास्करण और समीर हैनचैटे, गैर-फीचर फिल्म खंड के अध्यक्ष माइक पांडेय शामिल थे।

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