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दवाई में चूहे मार ज़हर कैसे आया?

राहुल ने रमन सरकार को जिम्मेदार माना

बिलासपुर में नसबंदी के बाद मरी महिलाएं

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 15 November 2014 05:49:14 AM

women died after sterilization in bilaspur

रायपुर। बिलासपुर में नसबंदी के बाद मरी चौदह महिलाओं को नसबंदी पूर्व पिलाई जाने वाली दवा की जांच में चूहे मारने वाले जहर का मिश्रण पाया गया है। इसके बाद लोगों में रमन सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज बिलासपुर में नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद मरने वाली महिलाओं के परिजनों से मिले और रमन सरकार पर इस घटना की जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल लापरवाही का ही नहीं है, अपितु भ्रष्टाचार और छत्तीसगढ़ राज्य में नकली दवाओं के बड़े अवैध कारोबार का भी है। राहुल गांधी ने कहा कि अस्पतालों को ठीक से चलाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है और सरकार अपनी जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करके अब नकली दवाएं जलवा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के स्वास्‍थ्य मंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
पीड़ित और मर चुकीं महिलाओं को ऑपरेशन के बदले धन देने का प्रलोभन दिया गया था। स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों ने शिविर में जाने के लिए महिलाओं को बाध्य किया था। हर महिला को नसबंदी के लिए 600 रुपए दिए जाने थे, मगर नसबंदी के ऐवज में मिलने वाले धन में कैसे बंटवारा होता है, जरा यह हिसाब भी देख लीजिए! स्वास्थ्य कर्मी को प्रति महिला के हिसाब के डेढ़ सौ रुपए मिलते हैं। सर्जन को 75 रुपए और एनस्थीसिया देने वाले को प्रति ऑपरेशन 25 रुपए मिलते हैं, अगर कोई एनस्थीसिया वाला नहीं आता है तो फिर पूरा पैसा सर्जन की जेब में चला जाता है। स्वास्थ्य कर्मी ऐसी महिलाओं को नसबंदी आपरेशन के लिए जबरन भी ले जाते हैं। इन महिलाओं में भी ऐसी महिलाएं शामिल थीं, जिनका उनके पति से बिना पूछे आपरेशन कराया गया।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आलोचनाओं से घिरने के बाद इस घटना की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। राज्य के खाद्य व औषधि प्रशासन विभाग के नियंत्रक रवि प्रकाश गुप्ता ने बताया कि विभाग ने रायपुर स्थित महावर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के दफ्तर को सील कर दिया है। ज्ञातव्य है कि राज्य के बिलासपुर जिले के सकरी गांव में एक निजी अस्पताल में शासकीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य शिविर में कुछ घंटों के भीतर 83 महिलाओं का नसंबदी आपरेशन किया गया था। आपरेशन करने वाले डॉक्टर को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस डॉक्टर का कहना था कि महिलाओं की मृत्यु आपरेशन में लापरवाही से नहीं हुई है, इसमें दवाओं का दोष हो सकता है। डॉक्टर की बात सही निकली है और जांच में उन दवाओं में चूहा मार जहर का मिश्रण पाया गया है। चूहों मार जहर उनमें कैसे पहुंचा इसकी जांच शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि वे दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान में मीडिया से कहा कि वे बिलासपुर के उन शिविरों में गए हैं, जहां नसबंदी का आपरेशन करवाने वाली 138 महिलाओं को इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा कि अपोलो अस्पताल में भर्ती कराई गई 52 महिलाओं में से दो जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं, जबकि पांच की डायलिसिस चल रही है। पांच को नान इनवेसिव वेंटिलेटर प्रणाली पर रखा गया है। सीआइएमएस व जिला अस्पताल में भर्ती अन्य महिलाओं की स्थिति सामान्य बताई गई है। घटिया दवाएं दिए जाने के आरोपों के बारे में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि नमूनों को कोलकाता की केंद्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा गया है। हैदराबाद के अपोलो अस्पताल के 16 डाक्टरों का एक दल भी यहां पहुंच गया है और उसने रोगियों की जांच की। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि जब तक मरीज ठीक नहीं हो जाते यह दल बिलासपुर में ही रहेगा।
राज्य में जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें टेबलेट आईब्रूफ्रेन 400, टेबलेट सिप्रोसीन 500, इंजेक्शन लिग्नोकेन और लिग्नोकेन एचसीएल, एब्जारबेंट कॉटन वुल और जिलोन लोशन शामिल हैं। पेंडारी गांव में 83 महिलाओं का नसबंदी आपरेशन करने वाले डॉ आरके गुप्ता को पड़ोसी बलोदाबाज़ार जिले से उनके एक रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया। अपने पेशेवर जीवन के दौरान करीब 50 हजार नसबंदी आपरेशन कर चुके इस लेप्रोस्कोपिक सर्जन ने बार-बार दावा किया कि सरकार से आपूर्ति की गई घटिया दवाओं के चलते आपरेशन के बाद उत्पन्न जटिलताओं से ये मौतें हुई। डॉ आरके गुप्ता नेकहा कि जो भी दवाइयां खरीदी गई थीं, उनकी जांच नहीं की गई थी, मरीजों को अच्छी कंपनी की दवाइयां नहीं दी गर्इं, यदि अच्छी कंपनी की दवाइयां दी जातीं, तब इस घटना को रोका जा सकता था। डॉ आरके गुप्ता ने कहा कि उन्हें फंसाने की कोशिश की जा रही है, जबकि जिला चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, अन्य अधिकारियों और जो चिकित्सक निलंबित हैं, उन सभी के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए और उनपर गैर इरादतन हत्या का मामला चलाया जाना चाहिए।

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