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भूटान में नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत

भारत के प्रधानमंत्री की दूसरी सफल कूटनीतिक पहल

नरेंद्र मोदी भूटान के शुभचिंतक और ज्ञानी-शेरिंग तोबगे

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 15 June 2014 06:58:14 PM

narendra modi in bhutan

नई दिल्ली/ थिंपू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाकर पूरी दुनिया में अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया ही था, अब उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा अपने अभिन्न मित्र भूटान के घर से शुरू की है। उन्होंने इसके लिए भूटान को चुनकर पूरी दुनिया को एक साथ कई संदेश दे दिए हैं। नरेंद्र मोदी के इस दूसरे कूटनीतिक फैसले ने भी एक साथ कई ताकतों को न केवल चित किया है, अपितु विश्व की महाशक्तियों की गलतफहमी को भी दूर कर दिया है। नई दुनिया को भारत एक शक्तिशाली लोकतांत्रिक देश और उसकी कूटनीतिक ताकत दिखा दी गई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने अपनी प्राथमिकताएं तय कर दी हैं ‌कि कुछ भी हो, विदेश नीति में उनके लिए सबसे पहले उनका पड़ोसी है और पड़ोसी में भी सबसे पहले सखातुल्य मित्र देश भूटान उसके बाद सार्क के सारे सार्क मित्र बाद में बाकी दुनिया है। भारत से लेकर भूटान तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को एक शानदार कदम के रूप में देखे जाने के बीच आज सवेरे जब वे भूटान पहुंचे तो वहां उनका जोरदार स्वागत हुआ।
भूटान के पारो हवाई अड्डे पर भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने उनकी अगवानी की और उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारो से 50 किलोमीटर दूर थिंपू पहुंचे। इस पहाड़ी रास्ते में प्रकृति के मंत्रमुग्‍ध कर देने वाले दृश्य दिखाई देते हैं। पारो और थिंपू के बीच पूरे रास्ते पर बच्चे और आम लोग नरेंद्र मोदी के स्वागत में भारत और भूटान के ध्वज लहरा रहे थे। रास्ते में नरेंद्र मोदी की तस्वीरों वाले बड़े-बड़े होर्डिंग भी नज़र आ रहे थे। अपने आगमन के फौरन बाद नरेंद्र मोदी ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक से बातचीत की। भूटान का भारत के सुरक्षा जैसे मामलों के लिए बड़ा भारी महत्व है। चीन के कई राजनयिक दबावों का सामना करने के बावजूद भूटान कठिन समय में भी भारत के साथ खड़ा दिखाई दिया है। एक बार जब भारत के खिलाफ सक्रिय उग्रवादियों ने भूटान में अपनी गतविधियां चलाईं तो भूटान नरेश ने अपनी सेना भेजकर उन्हें तबाह कर दिया, जिसका भारत महत्व मानता है। दोनों देश एक दूसरे के लिए सोचते हैं, इसीलिए आज जब एक पत्रकार ने थिंपू में एक लड़की से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा के बारे में प्रश्न किया तो उसने कहा कि उन्होंने अपनी विदेश यात्रा में सबसे पहले भूटान को चुना इससे हमारे देश में बहुत खुशी है।
भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक मित्रवत, भूटान के शुभचिंतक और बहुत ज्ञानी व्यक्ति हैं तथा भूटान उनके पहले विदेशी दौरे को पहले से मजबूत रिश्ते को आगे और प्रगाढ़ बनाने के लिए अवसर के तौर पर इस्तेमाल करेगा। तोबगे ने नरेंद्र मोदी के बारे में कहा कि वह वह भारत-भूटान संबंध के विवरण के बारे में बहुत अधिक जानकार हैं और कुल मिलाकर वह मकसद और उम्मीद का भाव देते हैं। पिछले महीने ही प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेशी दौरे पर भूटान पहुंचे हैं। शेरिंग तोबगे ने कहा कि हम इस अद्भुत मौके को दोनों देशों के बीच रिश्ते का जश्न मनाने तथा पहले से मजबूत दोस्ती को आगे और मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत का मुख्य केंद्र संबंधों को मजबूत करने पर होगा, लेकिन भूटान भारत की ओर से किए गए सभी वादों और मदद के बारे में चर्चा करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूटान यात्रा को विश्लेषणकर्ताओं और विदेश नीति के जानकारों ने अत्यंत महत्वपूर्ण करार दिया है। वे कह रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री अभी तक दुनिया के दूसरे शक्तिशाली देशों को ही सर्वाधिक महत्व देते आए हैं, किंतु इसबार परिदृश्य ही बदल गया है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश यात्रा की शुरूआत भूटान से की है, जो कई दृष्टि से भारत के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें सबसे ज्यादा मंथन की बात चीन के लिए है, जो भूटान में अपना वर्चस्व चाहता है, मगर उसके भारत के प्रति झुकाव से वह चिंतित रहता है। भूटान के आसपास की सीमाओें पर चीन ने काफी जन सुविधाएं भी वि‌कसित की हुई हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे पहले भूटान यात्रा से चीन में खलबली महसूस की जा सकती है। चीन समझता है कि भारत का नया नेतृत्व जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, उससे चीन को भी अब भारत से संबंधों के और ज्यादा सुधारात्मक फैसले लेने होंगे। विश्व समुदाय में इस बात की चर्चा स्वाभाविक है कि टकराव की राजनीति को दरकिनार कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबको जोड़ो जैसे कूटनीतिक फैसले लोकप्रियता हासिल करते जा रहे हैं, जिनको अनदेखा नहीं किया जा सकता।
भूटान जाने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ‘अनूठे और खास संबंध’ की वजह से पहले विदेशी गंतव्य के तौर पर भूटान उनकी ‘स्वभाविक पसंद’ थी। अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान के चयन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि चीन ने हाल के दिनों में इस देश को अपने साथ लाने के प्रयास तेज कर दिए हैं और थिंपू के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किये हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भूटान के साथ संबंध उनकी सरकार की विदेश नीति की अहम प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि मैं भूटान की अपनी पहली यात्रा को उम्मीद के साथ देख रहा हूं। विदेश सचिव सुजाता सिंह ने भी दिल्ली में कहा कि भूटान के साथ हमारे संबंध अनोखे और विशेष हैं, भूटान हमारा एक महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी है, यह दक्षिण एशिया में अच्छे पड़ोसी से संबंधित हमारी नीति और मित्रता के तहत सबसे अच्छा देश है। भूटान दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और विदेश सचिव सुजाता सिंह भी हैं। अपनी दो दिनों की भूटान यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी, भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे से मिलेंगे। दोनों पक्ष संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने एवं व्यापारिक, औद्योगिक, सुरक्षा एवं सांस्कृतिक विषयों पर विशेष फैसले करेंगे। बिजली परियोजनाओं पर फैसला सर्वधिक महत्वपूर्ण है। 

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