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पानी के लिए रोज जल दिवस क्‍यों नहीं?

पानी की एक बूंद में है जीवन! पानी बचाएं!

सैय्यद आदिल शमीम अंद्राबी

Sunday 30 March 2014 01:25:36 PM

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बाईस मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जा चुका है। जल दिवस मनाने का यह समय भारत के लिए बहुत प्रेरणाप्रद है, क्‍योंकि मार्च के लगते ही मौसम का मिजाज भी देश के एक बड़े भू-भाग में गर्मी पकड़ने लगता है और इसी के साथ यहां पेयजल की मांग और किल्‍लत भी बढ़ जाती है। यह दिवस भी रस्‍म अदायगी के बाद अपनी प्रचंड सच्‍चाई में विलीन हो जाता है। जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो उस समय मेरी विज्ञान की पुस्तक में 'जल' नामक एक अध्याय था, जिसकी आरंभिक पंक्ति थी-पानी-पानी हर तरफ, लेकिन पीने को बूंद नहीं। हमारा जीवन बहुत बदल चुका है और हम जीवन के हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का विकास देख रहे हैं। हमारे इर्द-गिर्द इलेक्ट्रानिक उपकरण मौजूद हैं, जिन्हें बिजली की जरूरत होती है। जब बिजली नहीं होती, तो वे बेकार हो जाते हैं, लेकिन तब भी हम उनके बगैर जिंदा रह सकते हैं। अगर एक दिन भी पानी न मिले तो हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते।
इस समय पृथ्वी ग्रह पर जीवन को बचाये रखने के लिए सबसे बड़ी जरूरत पानी को बचाने की है। पूरी दुनिया में 1993 से हर 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इस दिन संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की जाती है। संयुक्त राष्ट्र ने स्वच्छ पेय जल, पेय जल की उपलब्धता को बनाये रखने, पानी को बचाने, ताजे पानी के स्रोतों को बचाने और इसके संबंध में विभिन्न देशों में चलायी जाने वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की थी। विश्व जल दिवस के अवसर पर लोगों को यह याद दिलाने की कोशिश की जाती है कि ताजे पानी का महत्व क्या है और कैसे उसके स्रोतों को बचाया जा सकता है। पूरी दुनिया के संगठन विश्व जल दिवस के अवसर पर साफ पानी और जल स्रोंतों को बचाने के लिए जागरूकता और प्रोत्साहन का कार्य करते हैं। इस अवसर पर वर्तमान समय में पानी संबंधी महत्वपूर्ण मुद्दों पर लोगों का ध्यान भी आकर्षित किया जाता है।
भारत की बात की जाए तो यहां प्रचुर मात्रा में बारिश होती है, लेकिन आबादी बढ़ने के कारण देश में पानी की कमी महसूस की जा रही है। आबादी बढ़ने के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अधिक इस्तेमाल होता है। जल स्रोत, स्थानीय तालाब, ताल-तलैया, नदियां और जलाशय प्रदूषित हो रहे हैं और उनका पानी कम हो रहा है। इस समय देश की बढ़ी आबादी को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा भारत में खेती भी बारिश के भरोसे ही होती है। भारत में खेती की सफलता पानी की उपलब्धता पर ही निर्भर है, जिसमें बारिश के पानी की अहम भूमिका होती है। अच्छी वर्षा का मतलब अच्छी फसल होता है। वर्षा जल को बचाने की बहुत जरूरत है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसमें कोई तेजाबी तत्व न मिलने पाये, क्योंकि इससे पानी और उसके स्रोत प्रदूषित हो जाएंगे।
इन बातों के आधार पर आमतौर पर यह कहा जा सकता है कि देश में जल संरक्षण एक बड़ी आवश्यकता है। इससे संबंधित प्रमुख मुद्दों को इस प्रकार चिन्‍हित किया जा सकता है-शहरी और ग्रामीण घरों में सुरक्षित पेयजल को सुनिश्चित किया जाना, सुरक्षित पेयजल सुविधाओं को बनाये रखना, शहरों और गांवों में स्वच्छ जल स्रोतों को सुरक्षित और पुनर्स्थापित करना एवं जल संरक्षण। हर वर्ष विश्व जल दिवस के अवसर पर ताजे जल के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया जाता है। वर्तमान विश्व जल दिवस की विषयवस्तु "जल और ऊर्जा" है। चूंकि जल और ऊर्जा एक दूसरे से संबंधित हैं, इसलिए हमारे ग्रह के जीवन के लिए दोनों आवश्यक हैं। बिजली पैदा करने के लिए, खासतौर से पनबिजली और ताप बिजली के लिए जल संसाधनों की जरूरत होती है। पानी और ऊर्जा के संबंध को बनाये रखने के लिए जल संरक्षण को बढ़ाने और प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि यह भावी ऊर्जा उत्पादन के लिए भी बहुत जरूरी हैं।
बिजली उत्पादन के संबंध में भी जल की कार्य क्षमता बढ़ाने की भी जरूरत है। बिजली उत्पादन के लिए पानी की जरूरत होती है और पानी उपलब्ध करने के लिए बिजली की जरूरत होती है। पानी और बिजली के इस आपसी संबंध के कारण अगर दोनों में से किसी एक की भी कमी हो गयी तो दूसरे के लिए समस्या पैदा हो जाती है। अगर बिजली उत्पादन से संबंधित जल स्रोतों की कमी हो जाए तो बिजली उत्पादन में निश्चित तौर पर कमी आ जाएगी। इस समय बिजली बचाने वाले उपकरणों की बेहद आवश्यकता है। यदि उपकरण बिजली बचाएंगे तो इसका मतलब यह हुआ कि पानी भी बचेगा। हममें से ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि पानी बचाने के लिए एक अकेला आदमी क्या कर सकता है। इस तरह के विचार से हम लोग रोज पानी नष्ट कर देते हैं। आज की दुनिया में सभी लोग इस दौड़ में लगे हैं कि हम अपने घरों में बड़े-बड़े गुसलखाने बनवायें, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है।
कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे हुए नलों से पानी बह रहा है और बेकार जा रहा है, लेकिन हम वहां से गुजर जाते हैं और नल को बंद करने की चिंता नहीं करते। हमें इन विषयों पर सोचना चाहिए और अपने रोज के जीवन में जहां तक संभव हो पानी बचाने की कोशिश करनी चाहिए। बिजली का इस्तेमाल भी जरूरत के हिसाब से करना चाहिए न कि इच्छा के अनुसार। बिजली के उपकरणों को भी जब जरूरत हो तभी इस्तेमाल करना चाहिए। एक बल्ब से ही हमें पर्याप्त रोशनी मिल जाती है, तो इस बात की क्या जरूरत है कि हम कई लाइटें जलाएं। हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि जब जरूरी न हो तब लाइट और बिजली के अन्य उपकरणों को कम से कम इस्तेमाल किया जाए। ऐसा करके हम न सिर्फ बिजली बचाएंगे, बल्कि पानी भी बचाएंगे।

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