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सदन में दलगत कलह से ऊपर उठने की शक्‍ति

पंद्रहवीं लोकसभा की विदाई पर प्रधानमंत्री का भाषण

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Monday 24 February 2014 10:28:00 PM

manmohan singh

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंद्रहवीं लोकसभा की विदाई पर आयोजित एक कार्यक्रम में गरिमापूर्ण सदन के सभी सदस्यों का इसकी कार्यवाही पूरी करने में योगदान के लिए आभार और सम्मान प्रकट किया है। उन्‍होंने अपने भावना प्रधान संबोधन में कहा कि संसदीय जीवन में दलों के बीच मतभेद होते हैं, लेकिन न्यूनतम निरंतरता और समाधान तलाशने के रास्ते और माध्यम भी होने चाहिएं, ताकि भारतीय राज्य का जहाज आगे बढ़ सके।
उन्‍होंने कहा कि हमने देखा है कि कुछ महत्वपूर्ण मामलों में इस सदन ने राष्ट्रीय समाधान के मार्ग तलाशने के लिए दलगत कलह से ऊपर उठने की क्षमता और इच्छा शक्ति दिखाई है, जिस ढंग से तेलंगाना राज्य के उदय का रास्ता तलाशा गया, वह इस बात का एक और संकेत है कि यह देश बिना किसी विद्वेष, फालतू बातों के बारे में बिना अधिक चिंता किए बहुत कठिन निर्णय लेने में समर्थ है तथा हम इस तथ्य का श्रेय ले सकते हैं कि तेलंगाना राज्य, जिसकी मांग पिछले 60 साल से लंबित थी, आखिरकार साकार हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक एक और ऐतिहासिक कानून है, यह हमारे समुदाय के वंचित तबकों में आशा की किरण जगाएगा, यह हमारे किसानों को अधिक अनाज उपजाने के लिए उत्साहित करने की उम्मीद की किरण उपलब्ध कराएगा, जिस ढंग से हमारे देश में कृषि की स्थिति में सुधार हुआ है, मैं उसकी सराहना करता हूं। उन्‍होंने कहा कि हम अब ऐसे चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जहां भारत की जनता को एक बार फिर सरकार के प्रदर्शन, हमारी सरकार की कमजोरियों, सरकार की उपलब्धियों का आकलन करने और अपना निर्णय देने का अवसर मिलेगा तथा यह वह प्रक्रिया है, जिसमें एक बार फिर आम सहमति की नई भावना उभरेगी, जो हमारे देश को नई राहों पर ले जाएगी।
उन्‍होंने कहा कि मैं सदन के सभी सम्मानित सदस्यों को धन्यवाद देता हूं, विपक्ष की नेता को धन्यवाद देता हूं, शिंदेजी को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने सदन के नेता के रूप में गजब के आत्मविश्वास के साथ अपने कर्तव्य निभाए हैं, उम्मीद है कि कुछ समय रही कलह, तनाव भरे माहौल से बाहर निकलकर आशा का नया वातावरण जन्म लेगा। 

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