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रेड्डी की अध्‍यक्षता में चौदहवां वित्त आयोग

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Thursday 03 January 2013 02:16:13 AM

dr yv reddy

नई दिल्ली। संविधान की धारा 280 में प्रदत्‍त शक्तियों के तहत सरकार ने 14वें वित्‍त आयोग का गठन किया है। आयोग की अध्‍यक्षता रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ वाईवी रेड्डी करेंगे और इसमें चार अन्‍य सदस्‍य हैं-प्रोफेसर अभिजीत सेन सदस्‍य योजना आयोग सदस्‍य अंश कालिक, सुषमा नाथ पूर्व केंद्रीय वित्‍त सचिव सदस्‍य, डॉ एम गोविंदा राव निदेशक राष्‍ट्रीय लोक वित्‍त और नीति संस्‍थान नई दिल्‍ली सदस्‍य, डॉ सुदिप्‍तो मुंडले पूर्व कार्यकारी अध्‍यक्ष राष्‍ट्रीय सांख्यिकी आयोग सदस्‍य। अजय नारायण झा आयोग के सचिव होंगे।
आयोग अपनी रिपोर्ट 31 अक्‍टूबर 2014 तक प्रस्‍तुत करेगा और एक अप्रैल 2015 से शुरू हो रही पांच वर्ष की अवधि को सम्मिलित करेगा। आयोग केंद्रीय करों के बंटवारे, राज्‍यों को दी जाने वाली नीतिगत सहायता और स्‍थानीय निकायों को संसाधनों के हस्‍तांतरण संबंधी अनुशंसा करेगा। चौदहवां वित्‍त आयोग अपनी अनुशंसा देते समय जिन बिंदुओं को ध्‍यान में रखेगा वह इस प्रकार हैं-
संघ और राज्‍यों के बीच करों के शुद्ध आगमों का, जो संविधान के भाग 12 के अध्‍याय 1 के अधीन उनमें विभाजित किये जाने या किए जाएं, वितरण और राज्‍यों के बीच ऐसे आगमों के तत्‍संबंधी भाग का आवंटन, भारत की संचित निधि में से राज्‍यों के राजस्‍व में सहायता अनुदान को शासित करने वाले सिद्धांत और उन राज्‍यों को, जिन्‍हें संविधान के 275 के अधीन उनके राजस्‍वों में सहायता अनुदान के रूप में उस अनुच्‍छेद के खंड (1) के परंतुक में विनिर्दिष्‍ट प्रयोजनों से भिन्‍न प्रयोजनों के लिए सहायता की आवश्‍यकता है, संदत्‍त की जाने वाली धनराशियां, राज्‍यों के वित्‍त आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्‍यों में पंचायतों और नगरपालिका के संसाधनों की अनुपूर्ति के लिए किसी राज्‍य की संचित निधि के संवर्धन के लिए आवश्‍यक उपाय।
आयोग विशेष रूप से केंद्र सरकार के 13वें वित्‍त आयोग की सिफारिशों के आधार पर संघ और राज्‍यों की वित्‍तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करेगा और समान वृद्धि से संगत स्थिर और पोषणीय राज वित्‍तीय वातावरण को बनाए रखने के लिए उपायों का सुझाव देगा। आयोग अपनी सिफारिशें करते समय अन्‍य बातों के साथ इनको ध्‍यान में रखेगा- वर्ष 2014-15 के अंत में पूरे किए जाने वाले कराधान और गैर-कर राजस्‍वों के संभावित स्‍तरों के आधार पर एक अप्रैल, 2015 को आरंभ होने वाले पांच वर्षों के लिए केंद्रीय सरकार के संसाधन। केंद्रीय सरकार के संसाधनों, विशेष रूप से केंद्रीय और राज्‍य आयोजना के लिए अनुमानित स‍कल बजटीय सहायता, सिविल प्रशासन, रक्षा, आंतरिक और सीमा सुरक्षा, ऋण सेवा और अन्‍य प्रतिबद्ध व्‍यय तथा दायित्‍वों संबंधित मांग।
वर्ष 2014-15 के अंत में पूरा किए जाने वाले कराधान और गैर-कर राजस्‍वों के संभावित स्‍तरों के आधार पर एक अप्रैल, 2015 को प्रारंभ होने वाले पांच वर्षों के लिए राज्‍य सरकारों के संसाधन। सभी राज्‍यों और संघ के राजस्‍व खाते पर प्राप्तियों और व्‍यय को न केवल संतुलित करने, किंतु पूंजी निवेश के लिए अभिशेष उदभूत करने का भी उद्देश्‍य है, केंद्रीय सरकार और प्रत्‍येक राज्‍य सरकार के कराधान संबंधी प्रयास और संघ की दशा में कर-सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात और राज्‍यों की दशा में कर-सकल राज्‍य घरेलू उत्‍पाद अनुपात में सुधार करने के लिए अतिरिक्‍त संसाधन जुटाने की क्षमता। दीर्घकालिक और सम्मिलित विकास के लिए आवश्‍यक सब्सिडी स्‍तर और संघ और राज्‍यों के बीच सब्सिडियों का समान बंटवारा।
पूंजीगत आस्तियों के रख-रखाव और अनुरक्षण के गैर-वेतन घटक संबंधी व्‍यय और 31 मार्च, 2015 तक पूरी की जाने वाली आयोजना स्‍कीमों पर गैर-मजदूरी संबंधी रखरखाव व्‍यय तथा ऐसे मानदंड, जिनके आधार पर पूंजीगत आस्तियों के रख-रखाव के लिए विनिर्दिष्‍ट धनराशियों की सिफारिश की जाती है तथा ऐसे व्‍यय को निगरानी करने की रीति। वैधानिक उपायों के माध्‍यम से जिसके अंतर्गत प्रयोक्‍ता प्रभारों का उदग्रहण और दक्षता संवर्धन के उपायों का अपनाना भी है, सिंचाई परियोजनाओं, विद्ययुत परियोजनाओं, पीने के पानी और सार्वजनिक परिवहन की वाणिज्यिक व्‍यवहार्यता को सुनिश्चित करने की आवश्‍यकता। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को प्रतिस्‍पर्धात्‍मक और बाजार आधारित करने की आवश्‍यकता, सूचीबद्ध और विनिवेश और गैर-प्राथमिकता वाले उद्यमों को त्‍यागना। सतत विकास के अनुरूप परिस्थितिकी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रबंधन की आवश्‍यकता और प्रस्‍तावित वस्‍तु और सेवा कर का संघ और राज्‍यों की वित्‍त पर असर और किसी राजस्‍व हानि की दशा में इसकी भरपाई करने की प्रणाली।
आयोग विभिन्‍न विषयों पर अपनी सिफारिशे करते समय, उन सभी मामलों में जहां करों और शुल्‍कों तथा सहायता अनुदानों के अंतरण को अवधारित करने के लिए जनसंख्‍या एक कारक है, वर्ष 1971 की जनसंख्‍या के आंकडों को आधार के रूप में लेगा, हालांकि 1971 के बाद हुए जनसंख्‍या परिवर्तनों को भी आयोग ध्‍यान में रख सकता है। आयोग वर्तमान में लागू सार्वजनिक व्‍यय प्रबंधन प्रणाली जिसमें बजट और लेखा मानक तथा प्रणाली, प्राप्ति और व्‍यय के वर्गीकरण के लिए वर्तमान प्रणाली, राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर श्रेष्‍ठ कार्य पद्धति की समीक्षा करेगा और उसमें सुझाव देगा। आयोग, आपदा प्रबंधन के वित्‍त पोषण के संबंध में आपदा प्रबंध अधिनियम, 2005 (2005 का 53) में परिकल्पित निधियों के प्रतिनिर्देश से विद्यमान व्‍यवस्‍थाओं का पुनर्विलोकन कर सकेगा और उनके संबंध में उपयुक्‍त सिफारिशें कर सकेगा। आयोग उन आधारों को बताएगा, जिनके आधार पर वह अपने निष्‍कर्षों पर पहुंचा है और संघ तथा प्रत्‍येक राज्‍य की प्राप्तियों और व्‍यय के अनुमान उपलब्‍ध करायेगा। आयोग एक अप्रैल, 2015 से प्रारंभ होने वाली पांच वर्ष की अवधि से सम्मिलित करते हुए 31 अक्‍टूबर, 2014 तक अपनी रिपोर्ट उपलब्‍ध करायेगा।

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