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प्रधानमंत्री का सीबीआई को आशीर्वाद

स्‍वायत्‍तता पर असामान्‍य राजनीतिक बहस दुर्भाग्‍यपूर्ण

दिल्‍ली में भ्रष्‍टाचार और अपराध पर अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 11 November 2013 09:05:25 AM

manmohan singh at the international conference on evolving common strategies to combat corruption and crime, in new delhi

नई दिल्‍ली। भ्रष्‍टाचार और अपराध से निपटने के लिए एक जैसी रणनीति विकसित करने से संबंधित अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज केंद्रीय जांच ब्‍यूरो (सीबीआई) को अपना आशीर्वाद दिया और शुरूआती भाषण में ही उसकी जमकर तारीफ की। स्‍वर्ण जयंती वर्ष पर उन्‍होंने उन अधिकारियों को बधाई दी, जिन्‍हें आज पदक मिले हैं। उन्‍होंने कहा कि जिन 6 अधिकारियों को सम्‍मानित किया गया है, वे इस बात का उदाहरण हैं कि हम कड़े परिश्रम और दृढ़ निश्‍चय से क्‍या प्राप्‍त कर सकते हैं। इसके बाद उन्‍होंने कहा कि मेरे लिए यह फैसला करना काफी कठिन था कि मैं इस विशिष्‍ट सम्‍मेलन में क्‍या बोलूं? मैं ऐसा क्‍या कहूं, जो मैंने पहले न कहा हो या आप लोग जो भ्रष्‍टाचार के मामले की जांच करने के विशेषज्ञ हैं, न जानते हों, बहुत सोच विचार के बाद मैंने फैसला किया है कि मैं भ्रष्‍टाचार और इससे जुड़े मामलों पर बहस के लिए कुछ ऐसे बड़े मुद्दों को उठाऊंगा, जिनका हमारे देश को सामना करना पड़ रहा है और उन्‍होंने सिलसिलेवार अपना मत प्रकट किया। ऐसा लगा कि वे तय करके आए थे कि उन्‍हें आज कुछ कहना है।
प्रधानमंत्री ने सीबीआई के कामकाज से अपनी बात शुरू की। उन्‍होंने कहा कि सीबीआई ने अपनी स्‍थापना के 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं, हालांकि शुरू में इसे भ्रष्‍टाचार-रोधी एजेंसी के रूप में काम करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे अक्‍सर जटिल अपराधों की जांच करने का भी काम सौंपा गया, विशेष रूप से ऐसे अपराध, जिनका राष्‍ट्रीय और अंतर्राज्‍यीय स्‍तर पर प्रभाव होता है, सीबीआई ने भ्रष्‍टाचार और अन्‍य गंभीर अपराधों की रोकथाम में और अपराधियों को दंड दिलाने के प्रयासों में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है, मैं एजेंसी को उसकी उपलब्धियों के लिए मुबारकबाद देता हूं। उन्‍होंने कहा कि पिछले दिनों सीबीआई की वैधता के बारे में कुछ सवाल उठाए गए हैं, हमारी सरकार इस मामले पर गंभीरता से और जल्‍द से जल्‍द गौर करेगी, यह एक ऐसा मामला है, जिस पर देश की सर्वोच्‍च अदालत को निश्चित रूप से विचार करना होगा, सीबीआई की आवश्‍यकता और इसकी वैधता को बनाए रखने और पिछले वर्षों में किये गये इसके कार्यों और भविष्‍य में किये जाने वाले कार्यों को कायम रखने के लिए सरकार को जो कुछ भी करना होगा, करेगी।
मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं समझता हूं कि इस सम्‍मेलन का स्‍वरूप पिछले वर्षों से कुछ अलग होगा, इसके विभिन्‍न सत्रों में सीबीआई के सभी कार्य-कलापों से संबंधित विषयों पर विचार किया जाएगा, न कि केवल भ्रष्‍टाचार-रोधी प्रयासों पर, जैसा कि पिछले सम्‍मेलनों में होता रहा है। उन्‍होंने कहा कि 1990 के दशक में हुए आर्थिक सुधारों और उसके बाद तेजी से हुए आर्थिक विकास से देश की अर्थव्‍यवस्‍था में बहुत परिवर्तन हुए हैं, जैसे-जैसे हमारी अर्थव्‍यवस्‍था का और विकास तथा विस्‍तार होगा, परिवर्तन की प्रक्रिया भविष्‍य में भी जारी रहेगी, प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही उन्‍नति के साथ बढ़ते वैश्‍वीकरण के परिणामस्‍वरूप दूरियां खत्‍म हो रही हैं, देश के अंदर और अन्‍य देशों के साथ लोगों, विचारों, उत्‍पादों, सेवाओं, पूंजी और आवश्‍यक जानकारियों का आदान-प्रदान बढ़ रहा है, परिवर्तन की ये शक्तिशाली ताकतें, जो अधिक खुशहाली लाने में मददगार हैं, अपराध और भ्रष्‍टाचार के क्षेत्रों में भी वृद्धि कर रही हैं तथा मौजूदा अपराधों की जटिलता को भी बढ़ा रही हैं, इन जटिल मुद्दों का यही हल है कि बेहतर नियमन के साथ सुधारों पर और ज्‍यादा जोर दिया जाए, भ्रष्‍टाचार और अपराध से निपटने के लिए एक जैसी रणनीति विकसित करने से संबंधित इस अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन से इसमें भाग लेने वालों की अंतर्देशीय अपराधों और भ्रष्‍टाचार के बारे में समझ बढ़ेगी।
मनमोहन सिंह ने कहा कि साफ-सुथरे और पारदर्शी प्रशासन के लिए लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप और आर्थिक अपराधों की बढ़ती जटिलताओं से निपटने की दृष्टि से सरकार ने पिछले वर्षों में कई वैधानिक और प्रशासनिक उपाय किए हैं, जैसे सूचना का अधिकार कानून, लोकपाल और लोकायुक्‍त कानून बनाने के लिए किए गए प्रयास, भ्रष्‍टाचार रोकथाम कानून में संशोधन और दिल्‍ली विशेष पुलिस स्‍थापना अधिनियम, सार्वजनिक सेवा आपूर्ति विधेयक तथा सरकारी अधिकारियों के स्‍वैच्छिक अधिकारों को कम करने के लिए प्रशासनिक उपाय और अनुशासनात्‍मक कार्यवाहियों को तेजी से पूरा करने को सुनिश्चित करना आदि। जो बात मैं कहना चाहता हूं, वह यह है कि अब हमारे पास भ्रष्‍टाचार की रोकथाम के लिए व्‍यवस्‍था (फ्रेमवर्क) है और हमें सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है, मुझे उम्‍मीद है कि आने वाले समय में हम इस फ्रेमवर्क का प्रभावी इस्‍तेमाल कर सकेंगे। उन्‍होंने कहा कि देश में भ्रष्‍टाचार पर सार्वजनिक बहस में हम कई बार यह भूल जाते हैं कि आर्थिक विकास के साथ भ्रष्‍टाचार के मौके भी बढ़ते हैं, इसलिए यह जरूरी है कि हम भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर सही नजरिए से सोचें, जहां यह जरूरी है कि भ्रष्‍टाचार की रोकथाम में हम पूरी सतर्कता बरतें तथा सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और शुचिता बनाए रखें, उसके साथ यह भी जरूरी है कि देश निर्माण का कार्य भी उचित तेज गति से चलता रहे। इस बात की आवश्‍यकता है कि हम उन उपलब्धियों पर अधिक ध्‍यान दें, जिन पर हम उचित रूप से गर्व कर सकते हैं, हमें हमेशा प्रशासनिक संस्‍थाओं की इसलिए आलोचना नहीं करते रहना चाहिए, क्‍योंकि उनसे कुछ गलतियां हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान के अंतर्गत सार्वजनिक व्‍यवस्‍था को बनाये रखने के लिए अपराध की रोकथाम, उसका पता लगाना और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कार्यकारिणी के दायरे में हैं, अत: पुलिस और जांच एजेंसियां कार्यकारिणी का हिस्‍सा है और इन्‍हें प्रशासनिक देखरेख में काम करना चाहिए। सीबीआई और सामान्‍य तौर पर पुलिस की स्‍वायत्‍तता को लेकर हाल के महीनों में सुर्खियों में आया एक मुद्दा मेरे ध्‍यान में आया है, मैं समझता हूं कि यह याद रखना बेहद जरूरी है कि कानून के अंतर्गत अपराधों की जांच के मामले में पुलिस को पूरी स्‍वायत्‍तता मिली हुई है और ऐसी जांच में एक वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारी के अलावा कोई भी अन्‍य हस्‍तक्षेप नहीं कर सकता। उन्‍होंने कहा कि मैं लोगों से कहना चाहूंगा कि वे पुलिस संगठन की स्‍वायत्‍तता के मुद्दे पर विचार करें, जांच में स्‍वायत्‍तता की पहले ही गांरटी दी गई है, अगर जांच प्रक्रिया में किसी भी तरह के बाहरी हस्‍तक्षेप की जरूरत पड़ती है, तो हमें कतई हिचकिचाना नहीं चाहिए, लेकिन इस बारे में भी आत्‍मनिरीक्षण करना उपयुक्‍त होगा कि स्‍वायत्‍तता को लेकर चली बहस में कहीं इस बात से ध्‍यान तो नहीं हट रहा है कि सीबीआई और अन्‍य जांच एजेंसियां कार्यकारिणी का हिस्‍सा हैं, हमारे अंदर इतनी क्षमता होनी चाहिए कि हम प्रक्रिया से संबंधित स्‍वायत्‍तता और चौकसी के नियमों के बीच अंतर कर सकें और ऐसे संगठनात्‍मक और संस्‍थागत मामलों में निरीक्षण और नियंत्रण कर सकें, जो जनता की पूंजी से बनी कार्यकारिणी के सार्वजनिक ढांचे के लिए सामान्‍य है।
उन्‍होंने कहा कि स्‍वायत्‍तता पर असामान्‍य राजनीतिक बहस दुर्भाग्‍यपूर्ण है, दु:ख की बात यह है कि संवेदनशील जांच, जिससे जुड़े मुद्दे आम तौर पर सार्वजनिक नहीं होते, दिन पर दिन मीडिया की रनिंग कमेंट्री का विषय बनते जा रहे हैं, यहां मौजूद विशेषज्ञों से बेहतर कोई भी अन्‍य इस बात को नहीं समझ सकता कि गोपनी‍यता वर्तमान में चल रही जांच की शुद्धता के हित में है, सीबीआई को आरटीआई कानून से मुक्‍त करने के पीछे शायद यही कारण है, मुझे उम्‍मीद है कि एक जिम्‍मेदार पेशेवर होने के नाते आप लोग इसे सही परिप्रेक्ष्‍य में देखने में समर्थ होंगे। उन्‍होंने कहा कि समय बीतने के साथ-साथ हमारे देश में जांच एजेंसियों के प्रशासनिक फैसलों के बारे में सवाल उठाने और नीति निर्माण से जुड़े मामले बढ़ते जा रहे हैं, इस तरह के मामलों में जांच के समय काफी सावधानी की जरूरत होती है, हालांकि जिन मामलों में प्रथम दृष्‍टया, गलत इरादा अथवा धन संबंधी लाभ दिखाई दे, उनमें पूछताछ अवश्‍य होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान नीति के भीतर बिना किसी दुर्भावना से लिये गये फैसलों को अगर अपराध संबंधी दुर्व्‍यवहार करार दिया जाता है तो ऐसे फैसले निश्चित तौर पर दोषपूर्ण और अपरिमित होंगे, सरकार में नीति निर्माण एक बहुस्‍तरीय और जटिल प्रक्रिया है, यह और जटिल होती जा रही है, इसलिए मैं नहीं समझता कि पुलिस एजेंसी के लिए यह उचित होगा कि वह नाजायज सबूतों के बिना नीति निरुपण के बारे में फैसले कर बैठे, यह जरूरी है कि एक तरफ जांच और पुलिस एजेंसियों और दूसरी तरफ ईमानदार अधिकारियों के बीच विश्‍वास की रेखाएं स्‍पष्‍ट रूप से खींची जाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निश्चित तौर पर ईमानदार का संरक्षण भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 14 का एक पक्ष है, इसी को ध्‍यान में रखते हुए भ्रष्‍टाचार निरोधक अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2013 संसद में पेश किया गया, ताकि उस प्रावधान में संशोधन किया जा सके, जिसमें अभी आपराधिक इरादे संबंधी कानून के अभाव में अपराधी मान लिया जाता है, अनिश्चितता की दुनिया में फैसले करना बहुत ही जोखिम भरा काम है और कुछ फैसले जो प्रत्‍याशित तौर पर विवेकपूर्ण दिखाई देते हैं, वह बाद में दोषपूर्ण भी हो सकते हैं, हमारा प्रशासनिक ढांचा इतना व्‍यवस्थित होना चाहिए कि किसी अंजान के डर से निर्णय लेने में किसी तरह की गतिहीनता न आने पाए, अपराधी का पता लगाने के लिए एक प्रशिक्षित दिमाग का होना जरूरी है, जब एक आरोप पत्र दायर किया जाता है, तो उसे जांच की एक कड़ी प्रक्रिया से गुजारना चाहिए और उस मामले में दोष सिद्धि की अधिक संभावना होनी चाहिए, इससे पता चलता है कि गैर पुलिस संगठनों सहित सीबीआई में अधिक पेशेवर विशेषज्ञों की जरूरत है, हालांकि सीबीआई अपनी क्षमता और अपने प्रभाव को मजबूत कर रही है, उसे न केवल राज्‍य भ्रष्‍टाचार निरोधक ब्‍यूरो को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए, बल्कि राज्‍य सीआईडी और आर्थिक अपराध शाखाओं को भी मजबूत बनाना चाहिए। खुशी है कि सीबीआई एक उत्‍कृष्‍टता केंद्र स्‍थापित करने पर विचार कर रही है, जो जांच, अभियोजन, प्रौद्योगिकी, अदालती और प्रबंधन के क्षेत्रों में प्रमुख राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍थानों के साथ जानकारी का आदान-प्रदान कर सकेगा, यह एक अच्‍छी पहल है और मैं इसकी सराहना करता हूं।

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