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संसार का पहला तार समाचार

नंदलाल चत्ता

सभ्यता का उदय होने के साथ ही मनुष्य की लगातार कोशिश यही रही कि वह हर एक कठिनाई का हल ढूंढ़ निकाले। इन प्रयत्नों में वह सफलता भी पाता रहा। उसने लिपि का अविष्कार करके एक कठिनाई हल की तो वह पत्थरों पर लिखकर या अन्य वस्तु पर लिखकर अपने समाचार दूसरे तक पहुंचाने लगा। फिर इन समाचारों को जल्दी भेजने के लिए उसने बूतरों से काम लेना शुरू किया। उसके साथ ही पश्चिमी देशों, खासकर योरप में एक नई पद्धति निकाली गई। इससे निगनलों या संकेतों द्वारा समाचार भेजे जाने लगे। ये संकेत तभी ठीक तरह काम करते थे जब आकाश साफ होता था। बादल, वर्षा या बर्फ गिरते समय इनके द्वारा समाचार भेजना असंभव था।
इसके बाद जब बिजली का अविष्कार हुआ और इसके भेद मालूम हुए तो, खोज करने वाले इसके द्वारा समाचार भेजने की कोशिशें करने लगे। अंत में तार द्वारा खबर भेजने के लिए बिजली का उपयोग करने का अविष्कारक कहलाए जाने का सेहरा अमरीका के एक आदमी के सिर बंधा। मजे की बात यह है कि वह व्यक्ति वैज्ञानिक नहीं, एक चित्रकार था। उसका नाम सेम्यूल एफबी मोर्स था।
मोर्स के दिमाग में बिजली द्वारा समाचार भेजने का ख्याल एक मित्र के यहां, भोज में चली बातचीत से उत्पन्न हुआ। फिर क्या था? वह इस सूझ को प्रत्यक्ष रूप देने के प्रयत्नों में जुट गया। वह दिन भर अपने तीन, बिन माँ के, बच्चों की और अपनी जीविका चलाने के लिए रंग की कूचियों से काम करता रहता और रात को बिजली द्वारा तार भेजने के यंत्रों, बैटरियों और तारों से युद्ध-सा करता रहता। इस युद्ध में उसे पूरे चार वर्ष लगे।
सन् 1836 ई में उसने ऐसा यंत्र बना लिया, जिससे उसकी यह आशा और भी दृढ़ हो उठी कि एक दिन तार-खबर का एक पूरा यंत्र बना लेगा। परंतु उन दिनों लोगों को नए-नए अविष्कारों में इतनी रुचि न थी जितनी आजकल दिखाई देती है। इससे इस गरीब और मूक अविष्कारक को अपने इस नए अविष्कार के यंत्र में लोगों की रुचि उत्पन्न करने में और भी पांच वर्ष लगे। अंत में 1842 ई में वह इस नए अविष्कार को आजमाने के लिए अमरीका की कांग्रेस के सम्मुख यह प्रस्ताव पेश करवाने में सफल हुआ कि इस अविष्कार की परख के लिए 30 हजार डालर की रकम लगाकर आजमाइशी तार लगाए जाएं।
कांग्रेस की बैठक की अंतिम रात को भी जब इस प्रस्ताव पर कुछ भी कार्य न हुआ तो थका-हारा मोर्स निराश होकर घर पहुंचा और सो गया। पर दूसरे दिन प्रात:-काल ही उसके एक पुराने मित्र की पुत्री, जिसका नाम एन इल्सवर्थ था, उसके पास यह आनंददायक समाचार लेकर पहुंची कि आपके चले आने के पश्चात, जब हितैषी भी आशा खो बैठे थे तो कांग्रेस ने एक विधेयक पास करके आपके प्रस्ताव को मान लिया है।
यह समाचार सुनकर मोर्स के मन में नई चेतना आई। वह अपने अविष्कार को प्रत्यक्ष रूप देने में जुट गया। इस तरह संसार की पहली तार लाइन अमरीका के दो नगरों-वाशिंगटन और बाल्टीमूर- के बीच में स्थापित की गई। अत: इन्हीं दो शहरों में संसार के पहले दो तारघर भी खुले।
मई 24,  1844 को मोर्स ने धड़कते हुए दिल से वाशिंगटन के तारघर में लगी टेलीग्राफ की डेमी (तार भेजने के यंत्र) पर अंगुलियां रख दीं। उधर दूसरी ओर बाल्टीमूर में उसका सहायक, अलफ्रेड बेल, उत्सुकता से समाचार पाने की बाट जोह रहा था। एन इल्सवर्थ को ही, जिसने शुभ समाचार सुनाया था और जो वहीं खड़ी थी, यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि तार द्वारा भेजने के लिए पहला समाचार बतावे। ज्यों ही उसके मुख से ये समयानुकुल शब्द 'यह ईश्वर की लीला है' (What God hath wrought) निकले त्यों ही मोर्स ने अपनी अंगुलियों द्वारा टिकटिक करके इन्हें तार द्वारा भेजा। बेल ने भी इन शब्दों को ज्यों का त्यों प्राप्त किया और कुछ ही सेकंडों में उन्हें फिर से वाशिंगटन तार द्वारा वापस किया। मोर्स को उस समय कितनी खुशी हुई होगी, इसका अनुमान लगाया नहीं जा सकता।
इस तरह तार द्वारा खबरें भेजने का आरंभ हुआ और मोर्स को अपने कठिन परिश्रम का फल मिल गया।

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