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उच्‍च शिक्षा संस्‍थान एक ही ढर्रे पर न चलें-राष्‍ट्रपति

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Tuesday 22 October 2013 09:44:35 AM

pranab mukherjee

शिलांग। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत की उच्‍च शिक्षा व्‍यवस्‍था में नॉर्थ-ईस्‍टर्न हिल यूनिवर्सिटी (एनईएचयू) शिलांग के योगदान की सराहना की, किंतु कहा कि हमारे उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों को एक ही ढर्रे पर नहीं चलना चाहिए, बल्कि उनके प्रशासकों और शिक्षाविदों को अपने संस्‍थानों में निरंतर नवोन्‍मेषी परिवर्तन करते रहना चाहिए, इसके साथ ही उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों की समस्‍याओं का निदान भी तत्‍काल किया जाना चाहिए। राष्‍ट्रपति एनईएचयू के वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
प्रणब मुखर्जी ने नवोन्‍मेष के संदर्भ में एनईएचयू के सांस्‍कृतिक एवं रचनात्‍मक अध्‍ययन केंद्र का उल्‍लेख किया और कहा कि यह केंद्र न केवल पूर्वोत्‍तर की समृद्ध विविधता को संरक्षण और प्रोत्‍साहन प्रदान कर रहा है, बल्कि कला और संस्‍कृति से जुड़ी जन आकांक्षाओं को भी पहचान रहा है। उन्‍होंने कहा कि इसी तरह प्रत्‍येक उच्‍च शिक्षा संस्‍थान में एक-दो विभागों को श्रेष्‍ठ शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय विश्‍वविद्यालयों के विश्‍व के सर्वश्रेष्‍ठ विश्‍वविद्यालयों में शामिल नहीं हो पाने का एक प्रमुख कारण यह है कि वे अपना पक्ष समुचित ढंग से प्रस्‍तुत नहीं कर पाते। हालांकि हमारे विश्‍वविद्यालयों का स्‍तर उनके रेंकिंग के मानदंडों से कहीं ऊपर है।
उन्‍होंने कहा कि 80 वर्ष से अधिक समय पहले भारतीय विश्‍वविद्यालय से शिक्षित डॉ सीवी रमन को नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ था, उसके बाद डॉ अमृत्‍य सेन, डॉ एस चंद्रशेखर और डॉ हरगोविंद खुराना को मिला। हालांकि वे भारतीय विश्‍वविद्यालयों के स्‍नातक थे, किंतु उन्‍होंने नोबेल पुरस्‍कार अमरीकी विश्‍वविद्यालयों में कार्य करते हुए प्राप्‍त किया। मुखर्जी ने कहा कि एनईएचयू पूर्वोत्‍तर क्षेत्र की जनता के सशक्तिकरण की दिशा में कार्य कर रहा है।
राष्‍ट्रपति ने इस विश्‍वविद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्‍या में लैंगिक समानता पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की और कहा कि यहां पुरूष और महिला वर्ग में एक-एक का अनुपात है, कहीं-कहीं महिला वर्ग की संख्‍या अधिक है। दीक्षांत समारोह में मेघालय के राज्‍यपाल डॉ केके पॉल, मुख्‍यमंत्री डॉ मुकुल संगमा, एनईएचयू के कुलपति प्रोफेसर आंद्रे बेटिल्‍ले, उप कुलपति प्रोफेसर पी शुक्‍ला और गणमान्‍य नागरिक उपस्थित थे।

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