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मौसम विभाग ने तूफानी कहर से बचाया

बचाव और राहत कार्य में लगी भारतीय वायुसेना

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Tuesday 15 October 2013 10:14:40 AM

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना ने कल पूर्वी वायु कमान एयरबेस बैरकपुर से चार एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टर उड़ीसा के बालासोर तथा चांदीपुर से सटे इलाकों में राहत और बचाव कार्य के लिए भेजे हैं। इन इलाकों में रात भर वर्षा होने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है। प्रभावित इलाकों में रेमुना, धर्मपुर तथा बदपाल हैं। इन क्षेत्रों में राज्य प्रशासन के मुहैया कराए खाने के लगभग 15,000 पैकेट गिराए गए। चार उड़ानों में 5.5 टन की सामग्री गिराई गई। एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टरों के जरिए भारतीय जल सेना के गोताखोर भी उन इलाकों में गए जो जल से भर गए हैं। बालासर और चाँदीपुर के गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों से इन गोताखोरों को हेलीकॉप्टर से लाया गया है। थल सेना ने भी राहत और बचाव कार्य के लिए बालासोर में एक कालम तैनात किया है। गोपालपुर से कार्य कर रहा सेना का इंजीनियरिंग कार्यबल सोमवार को सवेरे छतरपुर के पीथल गांव की ओर बढ़ा। यह स्थान गंजाम से 100 किलोमीटर पश्चिम में है।
मौसम विभाग की सूचना के आधार पर फाइलिन तूफान की स्थिति और उससे निपटने के लिए पूर्व में किए गए उपायों के कारण दक्षिण भारत में भारी नुकसान से बचा जा सका है। तूफान से पहले की बचाव तैयारियों में सबसे पहले बिजली की आवश्यकताओं के संदर्भ में व्यापक तैयारियां की गईं। तूफान से बुरी तरह प्रभावित होने वाले अनुमानित जिलों में ओडिशा में 14 (9 तटीय और 5 अंदरूनी) और आंध्र प्रदेश में 3 (श्रीकाकुलम, विजयनगरम और विशाखापट्टनम) जिले थे। निर्बाध और सुरक्षित ग्रिड संचालन के लिए बिजली निर्माण और लोड संतुलन के लिए अग्रिम तैयारी की गई थी।
तूफान में इन पावर स्टेशनों पर नज़र रखी गई-आंध्र प्रदेश में सिम्हाद्री और विजयवाड़ा, ओडिशा में तलचर (एनटीपीसी) और 4 राज्य पनबिजली स्टेशनों-मैचकुंड, बालीमेलम ऊपरी सिलेरू और निचला सिमेरू। दक्षिणी क्षेत्र को पूर्वी क्षेत्र से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण अंतर-राज्य पारेषण लाइनों, 2000 मेगावॉट तलचर-कोलार एचवीडीसी लिंक और 1000 मेगावाट गाजूवाका एचवीडीसी लिंक विशेष रूप से लोड अनुकरण अध्ययन से सुचारू संचालन के लिए सुरक्षित किए गए। यहां 33/11 केवी और 132 केवी के वितरण नेटवर्क के रूप में सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका थी और वह राज्य सरकार के नियंत्रण में है। इसके लिए चौबीसों घंटे काम करने वाला समन्वय तंत्र स्थापित किया गया था।
स्थिर ट्रांमिशन आवृत्ति सुरक्षित करने के लिए संतुलित तरीके से आवश्यक लोड और बिजली निर्माण का प्रबंधन किया गया। आंध्र प्रदेश में लोड ज्यादा प्रभावित (सामान्य 10,000 मेगावाट की तुलना में 9000 मेगावाट की मांग) नहीं था। ओडिशा में यह 22 प्रतिशत से 25 प्रतिशत यानी करीब 600 मेगावाट (सामान्य मांग 2800मेगावाट) थी। बहुत कम समय यानी 30 मिनट से भी कम समय में करीब 23 घंटे के आसपास 3 स्थानों पर तलचर-कोलार एचवीडीसी लिंक में बिजली बहाल कर दी गई। इसके अलावा दक्षिणी कनेक्शन 1000 मेगावाट एचवीडीसी के वैकल्पिक मार्ग के माध्यम से बनाए रखा गया था। वर्तमान में दक्षिण के लिए सभी राज्यों के बीच लिंक (सूचना के अनुसार 4000मेगावाट में से 3000 मेगावाट क्षमता) काम कर रहे हैं।
राज्य सरकार के अनुरोध पर मंत्रालय ने इस कार्य के लिए राज्य सरकार को सभी सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। अभी भी लगातार निगरानी की जा रही है और मंत्रालय में चौबीस घंटे नियंत्रण कक्ष काम कर रहा है। एनपीएमसी सभी संबंधित पक्षों के साथ संपर्क में है। बिजली के बुनियादी ढांचे के यथोचित अगले 24 घंटों में बहाल होने की उम्मीद है। तूफान से सफलतापूर्वक निपटने के लिए बिजली के पारेषण और निर्माण के लिए सभी के व्यापक प्रयासों की सराहना की गई है।
प्रधानमंत्री ने फाइलिन तूफान से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की है और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा राहत और बचाव कार्य के लिए संबद्ध राज्य सरकारों को हर संभव सहायता देने का निर्देश दिया है। सड़क परिहवन और राजमार्ग मंत्री ऑस्कर फर्नांडिस ने भी भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण के उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के क्षेत्रीय अधिकारियों और परियोजना निदेशकों को राष्ट्रीय राजमार्गों को हुए नुकसान से निपटने तथा सड़कों की मरम्मत का काम करने का निर्देश दिया है। स्थिति पर नज़र रखने के लिए नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है। 

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