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दिल्‍ली में 'रिटर्न ऑफ योगिनी' प्रदर्शनी

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Thursday 19 September 2013 11:00:30 AM

chandresh kumari katoch and salman khurshid

नई दिल्‍ली। केंद्रीय संस्‍कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने आज नई दिल्‍ली में ‘रिटर्न ऑफ योगिनी’ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी का आयोजन, ‘योगिनी वृषहाना’ के सुरक्षित भारत लौटने के उपलक्ष्‍य में दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय संग्रहालय और संरक्षण एवं म्‍यूजिओलॉजी के इतिहास कला संस्‍थान ने संयुक्‍त रूप से किया है। यह प्रतिमा अवैध रूप से फ्रांस ले जाई गई थी और कला वस्‍तुओं के संग्राहकरोबर्ट स्क्रिंफ के पास थी। मार्टिन स्क्रिंफ ने ये प्रतिमा दान करने की अपनी इच्‍छा के बारे में फ्रांस में भारतीय दूतावास को बताया। चंद्रेश कुमारी कटोच ने दिल्‍ली के राष्‍ट्रीय संग्रहालय को 400 किलोग्राम की वज़न वाली यह प्रतिमा वापस लाने का निर्देश दिया। अगस्‍त 2013 के महीने में योगिनी की प्रतिमा वापस भारत पहुंची।
योगिनियां उन शक्तिशाली देवियों का समूह है, जो पूजा की तांत्रिक पद्धति से संबद्ध हैं। शायद ही इन्‍हें अकेले पूजा जाता हो, इनकी पूजा हमेशा समूह में की जाती है। ये भक्‍तों को जादुई शक्तियां प्रदान करने वाली देवियां मानी जाती हैं। इनके पास रूप परिवर्तन करने वाली और मनोकामना पूर्ण करने वाली अपार रहस्‍यमयी शक्तियां होती हैं और इनका रूप डरावना होता है। यह प्रदर्शनी इसलिए महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि चोरी करके ले जाई गई हमारी बहुमूल्‍य विरासत की प्रतिमा की वापसी के उपलक्ष्‍य में इसका आयोजन किया गया है।
योगिनियों की प्रतिमाओं का प्रकार मानव, अर्द्ध-मानव और अर्द्ध-पशु रूप में हो सकता है, हालांकि धड़ हमेशा मानवीय रहता है। इनके देवत्‍व की पहचान इनके हथियारों, कुंडल और कई भुजाओं से होती है। ये खप्‍पर, गदा, मुगदर, त्रिशूल, फूल, भाला, रूंडों की माला और खड्ग धारण करती हैं। इन्‍हें प्राय: कछुआ, हंस और सांप आदि वाहनों पर सवार देखा जाता है। योगिनियों के मंदिर बहुधा कस्‍बे से बाहर एकांत स्‍थल या पहाड़ी की चोटी पर बने होते हैं।

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