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विलुप्‍त स्‍मारकों का भी प्रमाणन जरूरी

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Wednesday 11 September 2013 08:33:50 AM

नई दिल्‍ली। भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग के निष्‍पादन लेखा परीक्षण के बाद, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने संसद में 23 अगस्‍त 2013 को प्रस्‍तुत रिपोर्ट में कहा है कि देश के 92 स्‍मारक या स्‍थल विलुप्‍त हो चुके हैं या फिर उनका पता नहीं लगाया जा सका है। सीएजी की इस रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले उस हर एक स्‍मारक का विस्‍तृत प्रमाणन करें, जिनका उल्‍लेख लेखा परीक्षण दल ने विलुप्‍त हो चुके स्‍मारकों के तौर पर किया है।
भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के क्षेत्रीय अधिकारियों से जरूरी सूचना प्राप्‍त हुई है और इसमें कहा गया है कि 92 स्‍मारकों में से 65 स्‍मारक विलुप्‍त हो चुके स्‍मारक को ऐसा स्‍मारक नहीं कहा जा सकता, जिसका पता न लगाया जा सकता हो। जो स्‍मारक जलाशयों में डूब गए हैं, जिन पर अतिक्रमण हो चुका है या फिर जो तेज गति से होते शहरीकरण से प्रभावित हुए हैं, उन्‍हें भी लेखा परीक्षण दल ने विलुप्‍त हो चुके स्‍मारकों के तौर पर दर्शाया है। एएसआई से प्रमाणित किए जाने के बाद 92 स्‍मारकों, स्‍थलों की स्थिति इस प्रकार है-स्‍मारक मौजूद हैं 39, स्‍मारक जो बांधों, जलाशयों में डूब गए हैं 12, जिन स्‍मारकों पर अतिक्रमण हो चुका है 8, जिन स्‍मारकों पर शहरीकरण का प्रभाव पड़ा है 6, जिन स्‍मारकों का क्षेत्र कार्यालयों से प्रमाणन किया जाना बाकी है 6 औरप्रमाणन के बाद जिन स्‍मारकों का पता नहीं चल सका 21 हैं।

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