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भू-अधिग्रहण में अनुसूचित व जनजातियों को विशेष रियायतें

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Sunday 8 September 2013 08:54:25 AM

नई दिल्‍ली। भू-अधिग्रहण विधेयक जिसका नाम बदल दिया गया है और अब इसे उचित मुआवजा तथा भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास और पुनर्स्‍थापन विधेयक 2012 का नाम दिया गया है। इसमें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के हितों की रक्षा के उद्देश्‍य से अलग से एक अध्‍याय जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि जहां भी भू-अधिग्रहण किया जाएगा, वहां यह बात स्‍पष्‍ट दिखनी चाहिए कि भू-अधिग्रहण के अलावा कोई अन्‍य उपाय नहीं था। विधेयक में यह भी कहा गया है कि जहां तक संभव होगा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वाले क्षेत्रों में भू-अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। अगर ऐसा करना जरूरी हो जाए तो स्‍थानीय स्‍वशासन निकायों (यदि स्‍वशासन परिषदें मौजूद हों तो उन्‍हें मिलाकर) की सहमति, अनुमोदन से भू-अधिग्रहण किया जाएगा। इस विधेयक में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा के लिए उपाय शामिल किए गए हैं।
विकास योजना-एक विकास योजना तैयार की जाएगी, जिसमें भू-अधिकार तय करने संबंधी विवरण शामिल किए जाएंगे। इसके लिए एक योजना तैयार की जाएगी, जिसमें वैकल्पिक ईंधन, चारे और गैर इमारती लकड़ी सहित वनोपज संसाधन तथा गैर वनोपज संसाधनों की पांच वर्षों तक के लिए व्‍यवस्‍था की जाएगी। एक तिहाई तक की अदायगी अग्रिम-अगर अनुसूचित जातियों और अनुसचित जनजातियों की जमीन का अधिग्रहण करना ही पड़े, तो उन्‍हें एक तिहाई मुआवजा शुरू में ही पहली किश्‍त के रूप में दे दिया जाएगा। बाकी रकम जमी पर कब्‍जा लेने के बाद दी जानी चाहिए। अनुसूचित जाति क्षेत्र में फिर से समझौता, प्रभावित अनुसूचित जनजाति के परिवारों को जहां तक संभव हो उसी क्षेत्र में फिर से बसाया जाए, ताकि वे अपनी जातीय, भाषायी और सांस्‍कृतिक पहचान बनाए रख सकें। समुदाय के लिए जमीन-पुनर्वास मुख्‍य रूप से उन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए होगा, जिनके बारे में सरकार निःशुल्‍क सामुदायिक और सामाजिक उत्‍सवों के लिए जमीन देने का फैसला करे।
जनजातीय भूमि का पृथककरण नहीं किया जाएगा-अनुसूचित जनजाति अथवा अनुसूचित जातियों के सदस्‍यों की भूमि को कानून और नियमों की अनदेखी करके अलग करना गैर कानूनी होगा, अगर ऐसा किया गया तो उस जमीन के पुनर्वास लाभ मूल जनजातीय लोगों अथवा उनके मालिक मूल अनुसूचित जाती लोगों को उपलब्‍ध कराए जाएंगे। मछली पकड़ने का अधिकार-प्रभावित जनजातीय लोग और परंपरागत रूप से वनवासी तथा अनुसूचित जाति के परिवार जिन्‍हें किसी नदी, तालाब अथवा जलाशय में मछली पकड़ने का अधिकार प्राप्‍त था, उन्‍हें नए जलाशय, सिंचाई अथवा पनबिजली परियोजना में भी मछली पकड़ने के अधिकार दिए जाएंगे, अगर अनुसूचित क्षेत्र से बाहर बसाए गए तो अतिरिक्‍त लाभ-अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के जिन प्रभावित परिवारों को जिले से बाहर बसाया गया हो, उन्‍हें 25 प्रतिशत अधिक पुनर्वास लाभ प्रदान किए जाएंगे। यह लाभ उन मुद्रा संबंधी लाभों पर आधारित होंगे और उनकी एकबारगी हकदारिता 50 हजार रूपए होगी।
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों को जमीन के बदले जमीन के ज्‍यादा लाभ-जिस परियोजना में अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन जाएगी, उन्‍हें उतनी ही जमीन जितनी ली गई हो, दी जाएगी। अथवा यह ढाई एकड़, (जो भी कम हो) होगी। अतिरिक्‍त राशि-हर प्रभातिव परिवार को मिलने वाले 3000 रूपए प्रति मास की गुजारे की रकम के अलावा हर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का परिवार जो अनुसूचित क्षेत्र से विस्‍थापित हुआ हो, 50,000 रूपए की राशि पाएगा।

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