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उत्‍तराखंड में राहत व पुनर्वास सेना के सुपुर्द हो

बहुगुणा सरकार के खिलाफ प्रभावित लोगों में भारी गुस्‍सा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 5 July 2013 08:12:26 AM

uttrakhand flood

नई दिल्‍ली, देहरादून। उत्‍तराखंड में अचानक वर्षा से विपदाग्रस्‍त क्षेत्रों के हालात फिर बेकाबू हो गए हैं। वहां मलबों में दबी पड़ी बेतहाशा लाशें सड़ रही हैं, घने बादल हैं, कोहरा भी है, बचाव और राहत कार्य प्रभावित हैं लोग पहले से ही फसे हुए हैं और दोबारा से खराब हुए मौसम में सड़कें धसने और बहने से मुश्‍किलें बढ़ गई हैं। लाशों के सड़ने से फैले संक्रमण से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी समस्‍याओं की स्‍थि‍ति और भी गंभीर हो गई है। ‍सेना इसके बावजूद बचाव अभियान में लगी है। जहां तक उत्‍तराखंड सरकार के राहत कार्यों और प्रभावित लोगों तक राहत पहुंचाने का सवाल है तो उससे लोग निराश हैं। उत्‍तराखंड में और बाहर भी मांग उठ रही है कि आपदा से प्रभावित इलाके पूरी तरह सेना के हवाले किए जाएं, क्‍योंकि लोगों का विश्‍वास उत्‍तराखंड सरकार के नागरिक प्रशासन में नहीं, बल्‍कि सेना में है जिसने लोगों को बचाने में अपने जवान गवां कर हजारों ज़िंदगियां बचाई हैं। सभी जगह कहा जा रहा है कि भारतीय सेना बचाव में न उतरती तो उत्‍तराखंड का न जाने और क्‍या बुरा हाल होता। राहत कार्यों को लेकर भारी आलोचनाओं के बावजूद विजय बहुगुणा सरकार की कार्य प्रणाली में कोई सुधार नहीं दिख रहा है, राहत कार्यों में कोई तालमेल भी नहीं है।
उत्‍तराखंड में राहत और बचाव कार्यों के लिए देश भर से राहत सामग्री के साथ धन भी आ रहा है। खाद्य सामग्रियां पीड़ितों तक न पहुंच कर उत्‍तराखंड सरकार के गोदामों में सड़ रही हैं। इसी को लेकर वहां और राजनीतिक दलों में तनातनी है। उत्‍तराखंड सरकार के अधिकारी हेलिकाप्‍टरों से दौरें कर रहे हैं और राहत पहुंचाने के लिए मजदूर हैं। अधिकारी अपने हाथ से राहत बांटतेहुए मीडिया के सामने फोटो जरूर खिचवा रहे हैं, दूसरी तरफ भारतीय सेना और देश के सभी सुरक्षाबल हैं, जो बिना किसी प्रचार के प्रभावित लोगों के बीच बचाव कार्य कर रहे हैं। इस समय एक उच्‍चस्‍तरीय केंद्रीय समि‍ति‍ भी उत्‍तरकाशी गई हुई है, जि‍समें नि‍देशक, इमरजेंसी मेडि‍कल रि‍स्‍पांस, नि‍देशक, रोग नि‍यंत्रण का राष्‍ट्रीय केंद्र और संयुक्‍त नि‍देशक, राष्‍ट्रीय वैक्‍टर बार्न डि‍जी‍जेस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) शामि‍ल हैं। बताया गया है कि दो नई सार्वजनिक ‍स्‍थास्‍थ्‍य टीमें भी देहरादून पहुंचने वाली हैं, जो इस समय वहां24 जून, 2013 से मौजूद पहली सार्वजनि‍क स्‍वास्‍थ्‍य टीम का स्‍थान लेंगी। इस टीम में एनसीडीसी के दो सदस्‍य हैं, जो केंद्रीय अस्‍पताल एनसीडीसी से हैं। ये दोनों पहली सार्वजनि‍क स्‍वास्‍थ्‍य टीम का स्‍थान लेंगी, जो वहां 24 जून, 2013 से मौजूद है।
उत्‍तराखंड में संक्रमण से बचाव एक बड़ी समस्‍या बन चुकी है। केंद्र सरकार के तीन अस्‍पतालों और डीएचएस, राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र दि‍ल्‍ली सरकार के 34 सीनि‍यर रेजि‍डेंट्स/ वि‍शेषज्ञ डॉक्‍टर देहरादून रवाना किए गए हैं। ये वहां पर पहले से ही मौजूदसीएचएस डॉक्‍टरों में शामि‍ल होंगे। नि‍महन्‍स, बंगलौर की तीन डॉक्‍टरों की एक टीम मनोवैज्ञानि‍क सामाजि‍क राहत कार्य के लि‍ए वि‍भि‍न्‍न प्रभावि‍त जि‍लों में तैनात की गई है। उत्‍तराखंड सरकार ने 171 जीडीएमओ और 57वि‍शेषज्ञ (एनएस थि‍सि‍या, सर्जरी, सामान्‍य कार्य चि‍कि‍त्‍सा, बाल रोग वि‍ज्ञान और स्‍त्री रोग) मांगे हैं। इस अनुरोध पर तेजी से डॉक्‍टरों को इकट्ठा करने की कार्रवाई की जा रही है। केंद्रीय अस्‍पतालों से दवाओं से भरे तीन ट्रक भेजे जा चुके हैं और इस पर लदी सामग्री को राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य प्राधि‍कारि‍यों ने आगे वि‍तरण करने के लि‍ए प्राप्‍त कर लि‍या है। राज्‍य को सात जरूरीदवाओं के साथ 10 लाख क्‍लोरीन गोलि‍यां भी भेजी गई हैं। राज्‍य अधि‍कारि‍यों ने दो करोड़ क्‍लोरीन गोलि‍यों के लि‍ए अनुरोध कि‍या है, साथ ही 100 मीट्रि‍क टन ब्‍लीचिंग पाउडर और तीन लाख ओआरएस पैकेटों की मांग की है। भारत सरकार इन्‍हें भेजने पर वि‍चार कर रही है। उत्‍तराखंड सरकार के अनुरोध को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रभावित इलाकों में किस कदर महामारी फैल चुकी है।
एकीकृत रोग टोह कार्यक्रम (आईडीएसपी) की जि‍ला यूनि‍टें और एनआरएचएम हर प्रभावि‍त जि‍ले में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी टोह लेने का काम कर रहे हैं। शुरूआती चेतावनी संकेत ग्रहण करने के बाद हरि‍द्वार (ज्‍वालापुर), उत्‍तरकाशी (उडवी) और रुद्रप्रयाग (चंद्रपुरी)में डायरि‍या के अनेक मामले सामने आए हैं,सरकार ने दावा किया है किशुरूआती दौर में ही डायरिया संभाल लि‍या गया है, मगर राज्‍य सरकार का अनुरोध बता रहा है कि जब उसने संक्रमण पर कबू पा लिया है और प्रभावि‍त क्षेत्रों में से कहीं से भी जल जनि‍त, खाद्य जनि‍त, वायु जनि‍त अथवा सीधे संपर्क वाली बीमारि‍यों के फैलने की खबर नहीं मि‍ली है, तो अतिरिक्‍त दवाईयों की तुरंत मांग क्‍यों बढ़ी है? राष्‍ट्रीय वैक्‍टरबार्न डि‍जीज कंट्रोल प्रोग्राम का एक वि‍शेषज्ञ दल राज्‍य सरकार के नि‍यंत्रण में रख दि‍या गया है, जि‍सका इस्‍तेमाल वह वैक्‍टरबार्न बीमारि‍यां रोकने में कर सकते हैं। इंडि‍यन रेडक्रास सोसाइटी ने दो सदस्‍यों वाली एक टीम उत्‍तरकाशी और पि‍थौरागढ़ में 19 जून सेतैनात कर रखी है। इससे पहले यह टीम राष्‍ट्रीय हेडक्‍वार्टर में तैनात थी। हेडक्‍वार्टर से एक उच्‍च स्‍तरीय टीम ने भी राज्‍य का दौरा कि‍या है और यह टीम राज्‍य रेडक्रास यूनि‍ट के साथ राहत कार्य में तालमेल कर रही है। आईआरसीएस ने सात ट्रक राहत सामग्री प्रदान की है, जि‍नमें तंबू, फैमि‍ली पैक, कि‍चन सैट, कंबल, लालटेनें आदि‍ शामि‍ल हैं। शव उठाने के लि‍ए 1100 वि‍शेष थैलों की व्‍यवस्‍था इंडि‍यन रेडक्रास सोसाइटी ने की है। स्‍वास्‍थ्‍य एवं परि‍वार कल्‍याण मंत्रालय ने भी इसके लिए 500 थैले भि‍जवाए हैं।

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