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अर्जुन के बाण भी तुणीर से बाहर आने को आतुर

लिमटी खरे

अर्जुन सिंह-arjun singh

नई दिल्ली। खामोश अर्जुन भी आज कुछ कहना चाहते हैं। उनके करीबी कह रहे हैं कि उनकी खामोशी जल्द ही टूटने वाली है। भ्रष्टाचार, घोटालों और अव्यवस्था से घिरी कांग्रेस गठबंधन सरकार में इस समय जिस तरह रहस्योद्घाटनों की झड़ी लगी है उसमें एक कड़ी अर्जुन सिंह की भी जुड़ने वाली है और वे जो बोलेंगे तो एक बार कांग्रेस में भूचाल जरूर आएगा यह अलग बात है कि कांग्रेस भी इस वक्त गैंडे की खाल ओढ़े हुए है और सब हमलों को झेलती आ रही है। यूं तो कांग्रेस के चतुरसुजान कुंवर अर्जुन सिंह, कांग्रेस गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में अपनी प्रासंगिता खो चुके हैं। कांग्रेस के छत्रपों में शुमार और राजीव गांधी के जमाने में कई बार अपनी राजनीतिक एवं प्रशासनिक उपयोगिता सिद्ध करने वाले अर्जुन आज बेबस हैं और काफी पहले एक तरह से कांग्रेस से दूध में से मक्खी की तरह निकाल बाहर किए जा चुके हैं तथापि इस वक्त उनका मुंह खुल जाना राजनीतिक रूप से नए विवाद खड़े कर सकता है।

इशारों ही इशारों में तीर चलाकर अर्जुन सिंह को अपने विरोधियों का मर्दन करने में महारथ हासिल रही है। संप्रग की दूसरी पारी में उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था। उस वक्त भी उम्मीद जताई जा रही थी कि वे अपनी उपेक्षा से कुपित होकर कोई न कोई धमाका अवश्य ही करेंगे लेकिन यह आश्चर्य हुआ कि अर्जुन ने धैर्य नहीं खोया। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने अर्जुन सिंह को किनारे करने के लिए कोई जतन नहीं छोड़े। उनकी पुत्री वीणा सिंह को कांग्रेस का टिकट भी नहीं दिया गया। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार में जाने के लिए उनके लिए निर्धारित विमान भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के एक करीबी गुजरात की यात्रा पर निकल गए और मजबूरी में अर्जुन सिंह को महाकौशल एक्सप्रेस से सतना पहुंचना पड़ा।

इसके उपरांत अर्जुन सिंह की पत्नी ने परोक्ष तौर पर सोनिया गांधी पर आरोप लगाकर ठहरे हुए पानी में कंकर मार दिया जिससे उनके राज्यपाल बनने की खबरें अफवाह में बदल गईं। अर्जुन सिंह से सोनिया गांधी की नाराजगी का आलम यह पाया गया कि सोनिया गांधी ने उन्हें अपने परिवार अर्थात जवाहर लाल नेहरू ट्रस्ट से भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके बावजूद अर्जुन सिंह ने धैर्य नहीं खोया और ख़ामोशी को ही राजनीतिक प्रतिक्रिया बनने दिया। उनके राजनैतिक तौर पर किनारे होने की आशंका को भांपकर उनके अनुयाईयों ने भी नया ठौर ठिकाना ढूंढकर अपने आका बदल लिए हैं। लगभग डेढ़ साल से अर्जुन सिंह के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में सन्नाटा ही पसरा हुआ था लेकिन इधर कुछ विशिष्ट आवाजाही बढ़ती दिख रही है। पिछले दिनों जब वे मध्यप्रदेश की यात्रा पर गए तो पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था कि वे राजनैतिक जीवन के अर्जित अवकाश का आनंद उठा रहे हैं।

अर्जुन सिंह के करीबियों का कहना है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल में घोटाले दर घोटाले सामने आने के बाद अब अर्जुन सक्रिय होते नज़र आ रहे हैं। चर्चा तो यहां तक है कि जल्द ही अर्जुन सिंह मीडिया से रूबरू होने वाले हैं जिसमें वे घोटालों के कारण धूमिल होती कांग्रेस की छवि को ध्यान में रखकर समस्त मंत्रियों को यह भी मशविरा दे सकते हैं कि सभी अपने अपने त्यागपत्र सौंप दें और फिर से नए सिरे से मंत्रिमण्डल का गठन किया जाए। इन बातों में सच्चाई कितनी है यह तो कुंवर अर्जुन सिंह ही ज्यादा बताएंगे किन्तु उनके आवास की बढ़ती चहल पहल से लगने लगा है कि जल्द ही कांग्रेस के गुजरे जमाने के नेता की खामोशी टूटने वाली है।

मनमोहन सिंह की सरकार में एक के बाद एक घोटाले जिस तरह से सामने आ रहे हैं उससे कांग्रेस का भारी नुकसान हो रहा है। धर्मनिर्पेक्षता के चक्कर में भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस को उछालकर कांग्रेस ने अपने को बुरा फंसा लिया है। इस कार्ड का कांग्रेस को नुकसान ज्यादा हुआ है जिसका परिणाम बिहार चुनाव में सामने आया है। यहां कांग्रेस का जो हाल हुआ है वह कांग्रेस हाईकमान की रणनीतिक विफलताओं को प्रकट करता है। सोनिया गांधी आज जिन सलाहकारों के दम पर कांग्रेस को चलाना चाहती हैं उनके अपने एजेंडे हैं और वे कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि अपने लिए काम करते हैं।

लोकसभा में पारित कई विधेयक ऐसे हैं जिनके परिणाम पूरी तरह कांग्रेस के खिलाफ जाते हैं और जिनके कारण भाजपा को लाभ पहुंचा है। इनमें शत्रु संपत्ति कानून ने कांग्रेस का भारी नुकसान किया है, कश्मीर के मौजूदा हालात से निपटने में सरकार का बोदापन सामने आया, स्पेक्ट्रम घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को देश का बुरी तरह से विफल प्रधानमंत्री साबित कर दिया है जबकि अर्जुन सिंह ने एक समय अपने राजनीतिक कौशल से अशांत पंजाब के राज्यपाल के रूप में पंजाब को देश की मुख्यधारा में लौटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अपने महत्व को सिद्ध किया था। वही अर्जुन सिंह आज उस समय की प्रतीक्षा में बताए जाते हैं जिसमें वे कांग्रेस की विफलताएं गिनाकर कुछ ऐसे रहस्योद्घाटन करें जिनसे यह सिद्ध होता हो कि अर्जुन के तीर अभी भी लक्ष्यभेदी हैं।

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