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बच्‍चों में हैजे की रोकथाम का टीका विकसित

रोटावायरस टीके-साक्ष्‍य और वादा पर अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्‍ठी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 14 May 2013 11:14:40 AM

k. vijay raghavan

नई दिल्‍ली। बच्‍चों में रोटा वायरस के संक्रमण से होने वाले हैजे की रोकथाम के लिए भारत में सरकारी और निजी भागीदारी से विकसित किये जा रहे ‘रोटावैक’ टीके के क्‍लीनिकल परीक्षण के तीसरे चरण के सकारात्‍मक परिणाम सामने आये हैं। यह घोषणा आज यहां जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ के विजय राघवन ने प्रेस कांफ्रेंस में की। उन्‍होंने बताया कि उनका विभाग यह टीका भारत बायोटैक के साथ मिलकर विकसित कर रहा है। डॉ विजय राघवन ने कहा कि रोटा वायरस जनित हैजा अपने देश में प्रति वर्ष लगभग एक लाख बच्‍चों की मृत्‍यु का कारण बनता है।
उधर भारत के लिए रोटावायरस टीके-साक्ष्‍य और वादा विषय पर अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्‍ठी यहां शुरू हुई। जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉक्‍टर के विजय राघवन ने इस गोष्‍ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस सामाजिक अभिनव भागीदारी से पता चलता है कि हमारी वैज्ञानिक और जैव-चिकित्‍सा प्रणाली किस प्रकार परिपक्‍व हो रही है, हमने इस प्रकार अपने ज्ञान और क्षमता में वृद्धि की है कि उससे भावी समाधानों के विकास में सहायता मिलेगी।
डॉक्‍टर विजय राघवन ने इस टीके को तैयार करने की परियोजना के लंबे और अद्वितीय पथ पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि यह एजेंसियों, क्षेत्रों, महाद्वीपों और संस्‍कृतियों के अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग का एक अभिनव नमूना है। रोटावायरस, बचपन में होने वाले अतिसार का सर्वाधिक गंभीर और प्राणघातक कारण है और इससे भारत में हर वर्ष लगभग एक लाख बच्‍चों की मृत्‍यु हो जाती है। इस घातक रोग का मुकाबला करने के लिए भारतीय और अंतर्राष्‍ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं के साथ-साथ सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों ने मिलकर यह रोटावायरस टीका तैयार किया है। यह टीका भारत की एक कंपनी ने तैयार किया है और भारत सरकार के नेतृत्‍व में भारतीय जांचकर्ताओं ने इसका परीक्षण किया है।
उन्‍होंने कहा कि हमारा काम अनुसंधान करना और अभिनव समाधानों का विकास करना रहा है, इसमें हमने अंतर्राष्‍ट्रीय वैज्ञानिकों और मित्रों से सहयोग प्रा़प्‍त किया और इसके परिणाम स्‍वरूप भारत के बच्‍चों के लिए एक विश्‍वस्‍तरीय टीका तैयार हुआ है। यह पहला अवसर है कि हम इसे तैयार करने में विकास के प्रत्‍येक स्‍तर से गुजरे हैं, साथ ही, इस संपूर्ण अनुसंधान प्रयास में अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों, नैतिकताओं और गुणवत्‍ता के मानकों का पालन किया गया है, और अब स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय इसके बारे में लाइसेंस जारी करने तथा उसे कार्यान्वित करने के बारे में निर्णय लेगा। उन्‍होंने इस टीके के सर्वोच्‍च मानकों को सुनिश्चित करने तथा अभिनव सामाजिक भागीदारी को बढ़ाने में जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव डॉक्‍टर एमके भान के प्रति विशेष रूप से आभार व्‍यक्‍त किया।
यह अंतर्राष्‍ट्रीय गोष्‍ठी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान विभाग/भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद तथा भारतीय शिशु रोग अकादमी का एक संयुक्‍त प्रयास है। इसमें इन विषयों पर विचार किये जाने की आशा है-रोटावैक-एक नया रोटावायरस टीका; भारत में रोटावायरस रोग; लाइसेंसशुदा रोटावायरस टीके; रोटावायरस टीकों के बारे में अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभव तथा भावी प्रयासों के लिए सिफारिशें।

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