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भारत में एमएसएमई इकोसिस्टम को बढ़ावा

सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यम रोज़गार एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़

पिछले कुछ वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था ने दर्ज की है एक उत्कृष्ट वृद्धि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 30 August 2021 06:01:19 PM

micro, small and medium enterprises

नई दिल्ली। विश्व की तरह ही भारत में किसी भी जगह एमएसएमई मूल्य श्रृंखला के अभिन्न हिस्से हैं, जो एक ओर विविध उत्पादों की पेशकश करते हैं और दूसरी ओर बड़े उद्योगों केलिए मध्यवर्ती वस्तुओं को पहुंचाते हैं। एमएसएमई सबसे बड़ा रोज़गार पैदा करने वाला और भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में 6.3 करोड़ से अधिक एमएसएमई हैं, जिनके पास अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचने और बड़ी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं केलिए सहायक के रूपमें काम करने की योग्यता एवं क्षमता है। निर्यात के संदर्भ में यह क्षेत्र विभिन्न उप-क्षेत्रों जैसे कपड़ा, चमड़ा व चमड़े के सामान, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव, रत्न और आभूषण आदि में 45 फीसदी के व्यापक योगदान केसाथ उच्च क्षमता रखता है। पिछले कुछ वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक उत्कृष्ट वृद्धि का प्रदर्शन किया है और इसके विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं मेंसे एक के रूपमें उभरने की भी संभावना है, जो 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। इस प्रकार व्यापक उद्यमिता विकास वातावरण को सुदृढ़ करने केलिए इसे एक बड़ा प्रोत्साहन दिया जाना है और इन उद्यमों के अंतर्राष्ट्रीयकरण से संबंधित बाधाओं को समझने की जरूरत है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमई के विकास की दिशा में अथक प्रयास कर रहा है और इसने भारत में एमएसएमई इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने की पहल की है। एमएसएमई मंत्रालय ने कुछ प्रमुख सुधार भी किए हैं जैसे-देश में एमएसएमई को सक्रिय करने पर भारत सरकार की उच्च प्राथमिकता के अनुरूप केंद्र सरकार 1 जून 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इसकी मजबूती को आगे बढ़ाने के लिए एमएसएमई परिभाषा में संशोधन की मंजूरी दे चुकी है। सरकार ने निवेश और वार्षिक व्यापार, दोनों के संयुक्त मानदंड को सम्मिलित करके एमएसएमई वर्गीकरण को संशोधित किया है। उद्यम पंजीकरण दाखिल करने की एक ऑनलाइन और सरलीकृत प्रक्रिया है, जो एमएसएमई को बिना किसी दस्तावेज व शुल्क के पंजीकरण प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। यह एक वैश्विक स्तर की बेंचमार्क प्रक्रिया है और व्यापार करने की आसानी की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। एमएसएमई मंत्रालय ने जीईएम (गवर्मेंट ई-मार्केटप्लेस) केसाथ उद्यम पंजीकरण पोर्टल का एपीआई एकीकरण भी शुरु किया है, जिससे एमएसएमई सरकारी खरीद में आसानी से हिस्सा ले सकें।
चैंपियंस विशेष रूपसे इस मुश्किल समय में एमएसएमई की सहायता करने और उन्हें संभालने केलिए एक ऑनलाइन मंच है। यह एक आईसीटी आधारित प्रौद्योगिकी प्रणाली है, जिसका उद्देश्य छोटी इकाइयों को उनकी शिकायतों का समाधान करके, प्रोत्साहित करके, समर्थन करके, सहायता करके और पूरे व्यावसायिक जीवनचक्र के दौरान संभालकर उन्हें बड़ी इकाई बनाना है। यह मंच एमएसएमई की सभी जरूरतों केलिए एकल खिड़की समाधान की सुविधा प्रदान करता है। एससी-एसटी समुदाय में उद्यमिता संस्कृति को बढ़ावा देने और सार्वजनिक खरीद नीति आदेश-2018 में उल्लिखित 4 फीसदी खरीद लक्ष्य को पूरा करने केलिए राष्ट्रीय एससी-एसटी केंद्र शुरु किया गया है। एससी/ एसटी की आबादी के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और अधिकतम जमीनी निवेश केलिए बाजार से जुड़ाव, वित्तीय सुविधा, क्षमता निर्माण आदि की चुनौती को पूरा करने केलिए कई पहलें की गई हैं।
आत्मनिर्भर भारत निधि योजना से एमएसएमई क्षेत्र को 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी वित्तीय सहायता मिलने की उम्मीद है। यह इक्विटी समावेशन एमएसएमई को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध करने का अवसर प्रदान करेगा। यह एमएसएमई को अपने व्यवसाय एवं विकास को आगे बढ़ाने की सुविधा प्रदान करेगा और इन क्षेत्रों में अधिक रोज़गार पैदा करने में सहायता करेगा। एमएसएमई को विपणन सहायता प्रदान करने केलिए सभी केंद्रीय मंत्रालयों एवं सरकारी विभागों और सीपीएसई को सार्वजनिक खरीद नीति के तहत एमएसएमई से वस्तु और सेवाओं की अपनी वार्षिक आवश्यकताओं का 25 फीसदी खरीदना आवश्यक है, इसमें एससी/ एसटी के स्वामित्व वाले एमएसई से 4 फीसदी और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले एमएसई से 3 फीसदी खरीदारी शामिल हैं। एमएसएमई से संबंधित सूचना एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने की एक सोच से उद्यम विकास केंद्रों की परिकल्पना की गई है। एमएसएमई मंत्रालय ने भारतभर में अबतक 102 ईडीसी स्थापित किए हैं, इनका उद्देश्य मौजूदा और इच्छुक एमएसएमई को निरंतरता के आधार पर ग्रामीण उद्यमों पर विशेष ध्यान देने के साथ पेशेवर सलाह व सहायक सेवाएं प्रदान करके उद्यमी नेताओं का एक नेटवर्क बनाना है।

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