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दिल्‍ली में शताब्दी फिल्म महोत्सव शुरू

एकल खिड़की से निर्माताओं की दूर होंगी बाधाएं-तिवारी

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Friday 26 April 2013 05:49:14 AM

centenary film festival

नई दिल्‍ली। केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्‍य मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि सरकार भारत में अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के फिल्मांकन को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू फिल्म निर्माताओं की सुविधा के लिए तंत्र विकसित करने के लिए मंत्रालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत में फिल्म निर्माण के संवर्धन और सहायता के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति के जरिए गठित एकल खिड़की प्रणाली भारत में फिल्म शूटिंग को क्लियरेंस देने संबंधी सभी संभावित बाधाओं को दूर करने की प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी। विभिन्न वर्गों के फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहन देने के लिए फीचर फिल्मों, लघु फिल्मों और टेलीविजन कार्यक्रमों को अंतर-मंत्रालयी समिति के दायरे में लाया गया है। मनीष तिवारी ने गुरूवार को छह दिवसीय शताब्दी फिल्म महोत्सव के शुरूआत के दौरान यह बात कही। मूक फिल्म-थ्रो ऑफ डाइस के प्रदर्शन के साथ महोत्सव की रंगारंग शुरुआत हुई।
मनीष तिवारी कहा कि सरकार भारतीय सिनेमा की समृद्ध विरासत को संजोने के लिए प्रतिबद्ध है और इस समृद्ध विरासत के संरक्षण और सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन की शुरूआत की गई है, मंत्रालय फिल्म प्रमाणन की समकालीन आवश्यकताओं की पहचान के लिए गठित न्यायमूर्ति मुदगल समिति की संस्तुतियों के प्रति आशांवित है। महोत्सव के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य भारतीय सिनेमा की समृद्ध विरासत को आम लोगों तक पहुंचाना और सुप्रसिद्ध भारतीय निदेशकों की उत्कृष्ट फिल्मों को प्रदर्शित करना है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय सिनेमा की विशिष्ट और अनोखी पहचान है। श्वेत-श्याम मूक फिल्मों के दौर से लेकर थ्री-डी फिल्मों तक इस माध्यम में तकनीक ने काफी प्रगति की है। पिछले सौ वर्षों के दौरान सिनेमा ने एक राष्ट्र के रूप में भारत के विकास के विभिन्न चरणों को उकेरा है। सिनेमा ने प्यार और आशा के माध्यम से लोगों की आकांक्षाओं और उनके सपनों को सशक्त रूप में प्रतिबिंबित किया है।
इस अवसर पर मनीष तिवारी ने भारतीय सिनेमा 100 (शताब्दी समारोह: दृश्य श्रव्य यात्रा) प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी फिल्म डिवीजन ने विशेष तौर पर तैयार की है, जिसका उद्देश्य आगंतुकों को विशिष्ट प्राचीन सिनेमा, कैमरा, साउंड रिकॉर्डिंग और एडिटिंग मशीनों तथा प्रकाश उपकरण सहित सिनेमा के विविध उपकरणों से रूबरू कराना है। शुरूआती बीसवीं शताब्दी में सिनेमा देखने के अनुभव को जीवंत करने के लिए सभागार के प्रमुख उपकक्ष में वास्तविक तंबू सिनेमा का भी प्रबंध किया गया था। उस्ताद निशात खान की संगीतमय वाद्यवृंद प्रस्तुति के साथ मूल फिल्म “थ्रो ऑफ डाइस” की स्क्रीनिंग उद्घाटन कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता रही। यह महोत्सव दिल्ली में सीरी फोर्ट सभागार के साथ ही जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय तथा इंडिया हैबीटैट सेंटर में मनाया जा रहा है।
छह दिवसीय महोत्सव में बिमल रॉय, गुरु दत्त, श्याम बेनेगल, अदूर गोपालकृष्णन जैसे सुविख्यात निदेशकों की उत्कृष्ट फिल्मों के साथ ही समकालीन फिल्में भी प्रदर्शित की जाएंगी। इसके अलावा बलराज साहनी, देव आनंद, शम्मी कपूर, राजेश खन्ना जैसी फिल्मी हस्तियों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी। फिल्म स्क्रीनिंग, प्रदर्शनी और पैनल चर्चा के लिए प्रवेश निःशुल्क है। इसके अलावा भारतीय सिनेमा के चिर-परिचित व्यक्तित्व सत्यजीत रे पर सिंहावलोकन भी प्रस्तुत किया जाएगा। फिल्म डिविजन अपने अभिलेखागार में शामिल बेशकीमती न्यूज रील डॉक्यूमेंट्री, लघु, फीचर और एनीमेशन फिल्मों को भी प्रस्तुत करेगी। सीबीएफसी (सेंसर बोर्ड) के सदस्यों की तीन दिवसीय कार्यशाला-“कट-अनकट” में भारतीय सिनेमा के उद्भव और इसकी प्रगति को दर्शाया जाएगा। तीस अप्रैल 2013 को सीरी फोर्ट सभागार में आमिर रजा हुसैन के दादासाहेब फालके के जीवन और समय पर आधारित नाटक के मंचन के साथ इस महोत्सव का समापन होगा।

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