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दुशांबे में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक

भारत ने एससीओ सदस्यों के साथ साझेदारी की प्रतिबद्धता दोहराई

रक्षामंत्री की एससीओ के बीस वर्ष पूरे होने पर सदस्य देशों को बधाई!

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 29 July 2021 11:53:31 AM

defense minister rajnath singh attended the sco defence ministers' meeting at dushanbe

दुशांबे। ताजिकिस्तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षामंत्रियों की बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा केलिए सबसे गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई भी कृत्य और इस तरह के कृत्यों को समर्थन, जिसमें सीमा पार आतंकवाद भी शामिल है, किसी के द्वारा, कहीं भी और किसी भी मकसद से किया जाना मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध है। रक्षामंत्री ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों से लड़ने के लिए भारत के संकल्प की फिरसे पुष्टि की। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत एससीओ के भीतर सुरक्षा क्षेत्र में विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ समानता, आपसी सम्मान और समझ के आधार पर द्विपक्षीय रूपसे एससीओ भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि आज चुनौती केवल अवधारणाओं और मानदंडों की नहीं है, बल्कि उनको ईमानदारी से अमलीजामा पहनाने की भी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ के 20 साल सफलतापूर्वक पूरे होने पर सदस्य देशों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हालांकि भारत 2017 में संगठन में शामिल हुआ, किंतु ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध और भौगोलिक संपर्क भारत को एससीओ से अविभाज्य बनाते हैं। क्षेत्रीय समूह के महत्व पर राजनाथ सिंह ने कहा कि एससीओ देशों में हमारी पृथ्वी की लगभग आधी मानवआबादी रहती है, भूगोल के दृष्टिकोण से यह यूरेशियन महाद्वीप के लगभग तीन बटे पांच हिस्से को कवर करता है, इसलिए हमारे पास एक सुरक्षित और स्थिर क्षेत्र बनाने केलिए सामूहिक हित हैं, जोकि हमारे लोगों और आने वाली पीढ़ियों के मानव विकास सूचकांकों की प्रगति और सुधार में योगदान देता है। उन्होंने कहा कि भारत इसी भावना से प्रेरित होकर अफगानिस्तान के लोगों की मदद करता है, जो दशकों से हिंसा और तबाही का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक भारत ने अफगानिस्तान में 500 परियोजनाएं पूरी की हैं और 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल विकास सहायता के साथ कुछ और परियोजनाओं को जारी भी रखे है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की भू-रणनीतिक स्थिति इसको यूरेशियन ज़मीन की शक्ति और साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक हितधारक बनाता है, इसलिए हमारा इरादा और आकांक्षाएं पूरे क्षेत्र की समृद्धि और विकास की ओर केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि हम क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास की हमारी राष्ट्रीय नीति के माध्यम से इस इरादे की पुष्टि करें, जिसे आमतौर पर संक्षिप्त नाम 'सागर' से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा और स्थिरता देशों की प्रगति और आर्थिक विकास केलिए अनुकूल वातावरण बनाने के सबसे आवश्यक घटक हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत एससीओ सदस्य देशों के साथ साझेदारी करने की प्रतिबद्धताओं को दोहराता है, ताकि व्यक्तिगत राष्ट्रीय संवेदनशीलता का सम्मान करनेवाली संयुक्त संस्थागत क्षमता विकसित की जा सके और इसके बीच भी लोगों, समाजों और देशों के बीच संपर्क, सहयोग और कनेक्टिविटी की भावना पैदा हो पाए। रक्षामंत्री ने कहा कि कोविड महामारी ने राष्ट्रों, नागरिक समाजों तथा नागरिकों को कई तरह से प्रभावित किया है।,यह इस बात की चेतावनी का संकेत है कि महामारी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, जल सुरक्षा और संबंधित सामाजिक व्यवधान जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जगत को कैसे प्रभावित कर सकती हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने कोविड-19 के खिलाफ प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान भारत दुनियाभर के देशों को सहायता प्रदान करने में सक्षम था, इसमें 90 देशों को टीकों की 6.6 करोड़ खुराक, 150 देशों को दवा, चिकित्सा सामग्रियों और उपकरणों केसाथ सहायता शामिल है। उन्होंने विदेशियों सहित 70 लाख से अधिक फंसे हुए लोगों को स्थानांतरित करने केलिए बड़े पैमाने पर ज्यादातर हवाई मार्ग एवं हिंद महासागर में वंदे भारत सेवा का उल्लेख किया। रक्षामंत्री ने आश्वासन दिया कि भारत अगस्त और 2021 के अंत के बीच टीकों की 250 करोड़ से अधिक खुराक का उत्पादन करने की योजना बना रहा है और कम से कम 90 करोड़ वयस्क भारतीयों का टीकाकरण करने और अन्य मित्र देशों को वैक्सीन के साथ मदद करने के प्रति दृढ़ हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि कोई भी संस्थान चाहे कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, अपने निर्माण के समय जैसा ही नहीं बना रह सकता है और एससीओ की अंतर्निहित ताकत इस तथ्य में निहित हैकि सदस्य देश अपनी गति से और संबंधित राष्ट्रीय नीतियों के अनुसार सहयोग कार्यक्रम में भाग लेते हैं। उन्होंने कहा कि एससीओ वास्तव में महत्व के एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूपमें आगे बढ़ा है, यह एससीओ प्रारूप के भीतर बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए काम करेगा।

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