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बीमा लोकपाल नियमावली में संशोधन

बीमा ब्रोकरों को लोकपाल तंत्र के दायरे में लाया गया

संशोधन में लोकपाल तंत्र के अधिकार भी बढ़ाए गए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 3 March 2021 03:01:45 PM

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नई दिल्ली। भारत सरकार ने बीमा सेवाओं की खामियों के संबंध में शिकायतों के समय पर निपटारे, प्रभावी और निष्पक्ष तरीके से समाधान की सुविधा के लिए बीमा लोकपाल तंत्र की कार्याविधि को बेहतर बनाने के दृष्टिकोण के साथ बीमा लोकपाल नियमावली-2017 में 2 मार्च 2021 को व्यापक संशोधनों को अधिसूचित किया है। पहले लोकपाल को बीमा कर्मचारियों, एजेंटों, ब्रोकरों और बिचौलियों की बीमा सेवामें खामियों की ही शिकायतें की जाया करती थीं, लेकिन संशोधित नियमों में लोकपाल को की जाने वाली शिकायतों का दायरा बढ़ गया है। बीमा ब्रोकरों को भी लोकपाल तंत्र के दायरे में लाया गया है और बीमा ब्रोकरों के खिलाफ अवार्ड पारित करने के लिए लोकपालों को सशक्त बनाया गया है। गौरतलब है कि भारत में बीमा लोकपाल की स्थापना करने और इसे सुलभ बनाने के सार्वजनिक शिकायतों के निपटान नियम-1998 के तहत सरकारी निकाय बीमा परिषद यानी जीबीआईसी की स्थापना की गई है।
बीमा लोकपाल निजी लाइन बीमा के संदर्भ में शिकायतें प्राप्त करने के लिए सशक्त किए गए हैं। संशोधित नियमों के तहत अब यह तंत्र काफी सीमा तक समयबद्धता और लागत-प्रभावी रूपसे मजबूत हो गया है। अब पॉलिसी धारक लोकपाल को इलेक्ट्रॉनिक रूपसे शिकायतें करने में सक्षम होंगे और शिकायत प्रबंधन प्रणाली का निर्माण किया जाएगा, ताकि पॉलिसी धारक अपनी शिकायतों की स्थिति का ऑनलाइन पता लगा सके। इसके अलावा लोकपाल सुनवाई के लिए वीडियो कॉंफ्रेंसिंग का भी उपयोग कर सकते हैं। अगर किसी विशेष लोकपाल का पद रिक्त है तो उस स्थिति में लोकपाल तंत्र के माध्यम से शिकायतकर्ता को राहत पाने में सक्षम बनाने के लिए उस रिक्त पद को भरने तक लंबित रखते हुए किसी अन्य लोकपाल को अतिरिक्त प्रभार सौंपने का भी प्रावधान किया गया है। लोकपाल चयन प्रक्रिया की स्वतंत्रता और अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए कई संशोधन किए गए हैं। एक लोकपाल के रूपमें सेवा करते हुए नियुक्त व्यक्तियों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों का भी सृजन किया गया है।
चयन समिति में अब बीमा क्षेत्र में उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने या उपभोक्ता संरक्षण के मामलों को आगे बढ़ाने में ट्रैक रिकॉर्ड वाले व्यक्तियों को भी शामिल किया जाएगा। लोकपाल तंत्र को बीमा कंपनियों की कार्यकारी परिषद ने प्रबंधित कर दिया था, जिसका नाम बदलकर बीमा लोकपाल परिषद कर दिया गया है। अहमदाबाद, बैंगलूरु, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, मुम्बुई, पुणे, पटना और नोएडा में 17 लोकपाल केंद्र देश को कवर कर रहे हैं। भारत सरकार ने व्यक्तिगत पॉलिसीधारकों की शिकायतें, न्यायिक प्रणाली के बाहर लागत-कुशल, कार्यक्षम तथा निष्पक्ष तरीके से निबटाने हेतु बीमा लोकपाल स्कीम लागू की है। विभिन्न क्षेत्रों पर 17 बीमा लोकपाल हैं और आप उस बीमा कंपनी, जिससे आपको शिकायत है के कार्यालय के क्षेत्रानुसार संबंधित अधिकार-क्षेत्र वाले लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं।
आप लोकपाल के समक्ष शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं, यदि आपने पहले अपनी शिकायत के साथ बीमा कंपनी से संपर्क किया है तथा उन्होंने इसका समाधान नहीं किया है, इसका समाधान आपकी संतुष्टि के स्तर तक नहीं किया है, 30 दिन तक इसपर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी है, आपकी शिकायत किसी पॉलिसी से संबंधित है जो आपने व्यक्ति के रूपमें अपनी क्षमता में ली है तथा व्ययों सहित दावे का मूल्य 30 लाख रूपये से अधिक नहीं मांगा गया है। लोकपाल के समक्ष आपकी शिकायतें हो सकती हैं-किसी बीमाकर्ता द्वारा दावों का आंशिक या पूर्ण अस्वीकरण, चुकता प्रीमियम या पॉलिसी की शर्तों के अनुसार देय प्रीमियम के बारे में कोई विवाद, दावों के संबंध में पॉलिसियों की विधिक संरचना को लेकर कोई विवाद, दावों के निपटान में विलम्ब और आप द्वारा प्रीमियम का भुगतान किए जाने के बावजूद किसी बीमा दस्तावेज का निर्गमन न किया जाना। लोकपाल एक परामर्शी तथा मध्यस्थ की भांति कार्य करेगा तथा विवादों के तथ्यों के आधार पर एक निष्पक्ष अनुशंसा प्रस्तुत करेगा, यदि आप इसे पूर्ण एवं अंतिम निपटान के रूप में स्वीकार करते हैं तो लोकपाल कंपनी को सूचित करेगा, जोकि 15 दिन की अवधि के अंदर इसका पालन करेगी।
शिकायतकर्ता का यदि अनुशंसा द्वारा निपटान कारगर न हो तो लोकपाल शिकायत प्राप्त करने के 3 माह के अंदर एक अधिनिर्णय पारित करेगा और जो विस्तृत कारणों के उल्लेख सहित एक स्पीकिंग अधिनिर्णय होगा। स्पीकिंग अधिनिर्णय बीमा कंपनी पर बाध्यकारी होगा, लेकिन पॉलिसी धारक पर बाध्यकारी नहीं होगा। लोकपाल किसी अनुग्रह अदायगी का भी अधिनिर्णय दे सकता है, अधिनिर्णय पारित हो जाने पर आपको अवार्ड को लिखित में स्वीकृत करना होगा और बीमा कंपनी को इससे 30 दिन के अंदर सूचित करना होगा तथा इसके पश्चात बीमा कंपनी को अधिनिर्णय की अनुपालना 15 दिन में करनी होगी। अधिक जानकारी के लिए आप बीमा परिषद के प्रशासकीय निकाय (जीबीआईसी) की वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं, जिसका लिंक www.gbic.co.in है।

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