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वन्‍यजीवों की सुरक्षा का कानून हुआ सख्‍त

देश में वन्‍यजीव अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो का गठन

सीबीआई को भी सीधे कड़ी कार्रवाई का अधिकार मिला

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 11 April 2013 10:34:50 AM

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नई दिल्‍ली। भारत सरकार ने देश में वन्‍य जानवरों की सुरक्षा और उनकी संकटापन्‍न प्रजातियों के संरक्षण के कानून को और ज्‍यादा कड़ा कर दिया है। जंगली जानवरों के शिकार और व्‍यवसायिक रूप से उनके उपयोग के रूप में वन्‍य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के तहत कानूनी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वन्‍य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 में संशोधन कर इसे ज्‍यादा कठोर बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत अपराधों के लिए सज़ा सख्‍त की गई है। इस अधिनियम के तहत वन्‍यजीव संबंधी अपराधों में इस्‍तेमाल हुए किसी भी तरह के उपकरण, वाहन या हथियार को ज़ब्‍त करने का प्रावधान है। इसमें केंद्रीय जांच ब्‍यूरो को देश में कहीं भी सीधे कार्रवाई का अधिकार दे दिया गया है।
वन्‍य जीवों और उनके पर्यावासों के संरक्षण के लिए वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत देशभर में सुरक्षित इलाके यानी राष्‍ट्रीय उद्यान, अभयारण्‍य, संरक्षण रिज़र्व और सामुदायिक रिज़र्व बनाए गए हैं। वन्‍यजीवों के बेहतर संरक्षण और उनके पर्यावास में सुधार लाने के लिए 'समेकित वन्‍यजीव पर्यावास विकास', 'प्रोजेक्‍ट टाइगर', और 'प्राजेक्‍ट इलिफेंट' की केंद्र सरकार से प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्‍य-केंद्र शासित प्रदेशों को वित्‍तीय और तकनीकी सहायता उपलब्‍ध कराई जाती है।
केंद्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) को वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत वन्‍यजीव अपराधियों को हिरासत में लेने और उन पर मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है। राज्‍य-केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से संरक्षित क्षेत्रों में और उसके आस-पास गश्‍त बढ़ाने का आग्रह किया गया है। जानवरों का अवैध शिकार करने और उनके तथा उनसे बनी चीज़ो के अवैध व्‍यापार पर नियंत्रण के लिए कानून को मज़बूत बनाने हेतु वन्‍यजीव अपराध नियंत्रण ब्‍यूरो गठित किया गया है।
वन और वन्‍यजीव के राज्‍य विभागों के अधिकारियों द्वारा कड़ी सतर्कता बरती जाती है। पर्यावरण और वन मंत्रालय राज्‍य सरकारों को 'संकटापन्‍न प्रजाजियों को बचाने के लिए पुनरूत्‍थान कार्यक्रमों' को चलाने के लिए वित्‍तीय सहायता भी उपलब्‍ध कराता है। राज्‍य-केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र से प्रायोजित योजना 'समेकित वन्‍यजीव विकास' के तहत संकटापन्‍न प्रजाजियों को बचाने के लिए पुनरूत्‍थान कार्यक्रम चलाने हेतु पिछले तीन साल में भारी राशि भी दी गई है।

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