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सुप्रीम कोर्ट ‌के आदेश से मुश्किल में राजनेता

राजनीतिक दलों के लिए सुप्रीम कोर्ट का बाध्यकारी आदेश

भारत निर्वाचन आयोग ने भी आदेश पर शुरू की कार्रवाई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 15 February 2020 01:51:04 PM

supreme court

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के 13 फरवरी 2020 को 2011 की रिट याचिका (सी) संख्या 536 मानहानि याचिका 2018 (सी) संख्या 2192 में संविधान के अनुच्छेद 129 तथा अनुच्छेद 142 के उपयोग के बाद देश के राजनीतिक दलों में अफरा-तफरी मची है। उच्चतम न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि केंद्रीय तथा राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों के लिए चुने गए उम्मीदवारों के बारे में लंबित आपराधिक मामलों अपराध की प्रकृति तथा अभियोग पत्र की स्थिति, संबंधित न्यायालय, केस नंबर सहित पूरी जानकारी और उनके चुने जाने के कारण तथा गैर-आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को उम्मीदवार के रूपमें चयन नहीं करने के कारणों की विस्तृत सूचना उनकी वेबसाइटों पर अपलोड करना अनिवार्य करें।
उच्चतम न्यायालय के आदेश में है कि चयन के कारणों में उम्मीदवारों की योग्यता, उसकी उपलब्धियां तथा मेधा होनी चाहिए न कि चुनाव में उसके जीतने की संभावना। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सूचना का प्रकाशन एक स्थानीय भाषाई समाचार पत्र तथा एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में, फेसबुक तथा ट्वीटर सहित राजनीतिक दलों की आधिकारिक वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लोटफार्मों पर भी होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि इन सूचनाओं को उम्मीदवार चयन के 48 घंटों के भीतर या नामांकन पत्र दाखिल करने की पहली तिथि से कम से कम दो सप्ताह पहले, जो भी पहले हो प्रकाशित करना होगा। संबंधित राजनीतिक दल उम्मीदवार चुनने के 72 घंटे के भीतर निर्देशानुसार परिपालन रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेंगे, यदि कोई राजनीतिक दल ऐसी परिपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो निर्वाचन आयोग निर्देशों का परिपालन नहीं किए जाने का संज्ञान आदेशों या निर्देशों की अवमानना के रूपमें उच्चतम न्यायालय के समक्ष लाएगा।
भारत निर्वाचन आयोग का कहना है कि उसने निरंतर रूपसे सार्वजनिक जीवन में कठिन और उच्च मानकों को अपनाया है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का ह्रदय से स्वागत करता है। यह आदेश चुनावी लोकतंत्र की बेहतरी के लिए नए मानक स्थापित करने में सहायक होगा। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने 10 अक्टूबर 2018 को उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का प्रचार सुनिश्चित करने के लिए हलफनामे के संशोधित रूप के साथ विस्तृत दिशानिर्देशों को जारी किया था। इसका नवंबर-2018 से क्रियांवित किया जा रहा है। भारत चुनाव आयोग ने कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय के इन निर्देशों को दोहराने का प्रस्ताव करता है, ताकि सच्ची भावना से उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को लागू किया जा सके।

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