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बैंक जनता का विश्वास बनाए रखें-राष्ट्रपति

'अर्थव्यवस्था में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका एवं जिम्मेदारी'

पुणे में राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान का स्वर्ण जयंती समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 12 February 2020 05:42:53 PM

ram nath kovind addressing at the golden jubilee of the national institute of bank management

पुणे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज पुणे में राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि बैंक हमारी आर्थिक प्रणाली की धुरी हैं, इस भूमिका में बैंकों की सक्षमता से उन्हें लोगों का विश्वास और सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में सभी नागरिकों के लिए आर्थिक न्याय का वादा किया गया है, बैंकों को इस संवैधानिक संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण वाहन समझा जाता है। राष्ट्रपति ने पारंपरिक भूमिका से आगे वित्तीय मध्‍यवर्ती संस्था बनने के लिए बैंकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सराहनीय है कि हमारे बैंकों ने स्वयं को अभिजात्य वर्गों की सेवा से अलग आमजन की सेवा में प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ग़रीब और जरूरतमंद लोगों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से राशि पहुंचने से लाखों लोगों की ज़िंदगी प्रभावित हुई है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बैंकों को विकास और समानता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक संविदा का हिस्सा माना जाता था। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक प्रणाली में बैंकों के महत्व पर विचार करते हुए 1949 में बैंकिंग नियमन अधिनियम लागू किया गया था, हमारे देश निर्माता सार्वजनिक विश्वास के वाहक की भूमिका में बैंकों के महत्व के प्रति बहुत सचेत थे। राष्ट्रपति ने सभी बैंकरों से राष्ट्रनिर्माताओं की इस सोच के अनुसार अपने कार्यों के बारे में निर्णय करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक धन के संरक्षण के रूपमें अर्थव्यवस्था में बैंकों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। राष्ट्रपति ने कहा कि बैंकों को सभी संभव विवेकपूर्ण उपाए करने होंगे, ताकि जनता के साथ बैंकों का विश्वास किसी भी हालत में न टूटे। उन्होंने कहा कि जमा बीमा कवरेज 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का हाल का प्रस्ताव बचतकर्ताओं को आश्वास्त करने के लिए सकारात्मक कदम है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, भारत के विकास में बैंकों को निरंतर भूमिका निभानी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है और बैंकिंग क्षेत्र को अगली बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयारी करनी पड़ेगी, इसमें बेसहारा लोगों के साथ बैंकिंग और असुरक्षित लोगों को सुरक्षित करना शामिल है। उन्होंने एनआईबीएम से वैश्विक मानकों के बैंकिंग संस्थानों में सेवा के लिए कुशल प्रशिक्षित मानव संसाधन का पूल बनाने की जिम्मेदारी संभालने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि अधिक से अधिक पहुंच और सक्षमता के साथ बैंक भारत की भविष्य की यात्रा में बड़ी मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी अर्थव्यवस्था के बढ़ते आकार को देखते हुए हमें विश्व के शीर्ष 100 बैंकों में एक से अधिक बैंकों को शामिल कराने का लक्ष्य रखना चाहिए।

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