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अंक ही निर्णायक नहीं होते-प्रधानमंत्री

छात्रों को तनाव मुक्‍त रहने के बहुमूल्‍य सुझाव दिए

देश और विदेश के विद्यार्थियों से परीक्षा पे चर्चा की

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 21 January 2020 01:08:56 PM

narendra modi interacting with the students, teachers and parents, pariksha pe charcha

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्‍ली स्थित तालकटोरा स्‍टे‍डियम में परीक्षा पे चर्चा 2020 संस्‍करण में देश-विदेश के विद्यार्थियों से संवाद किया। प्रधानमंत्री ने छात्रों को जीवन के हर क्षेत्र में तनाव मुक्‍त रहने के बहुमूल्‍य सुझाव दिए। पचास दिव्‍यांग विद्यार्थियों ने भी इस पारस्‍परिक संवाद कार्यक्रम में भाग लिया। विद्यार्थियों ने ऐसे अनेक विषयों पर प्रधानमंत्री से मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया, जो उनकी दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण थे। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ‘परीक्षा पे चर्चा 2020’ कार्यक्रम का आयोजन किया था। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, राज्यमंत्री संजय धोत्रे, सचिव अमित खरे और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।सीबीएसई और केवीएस के स्‍कूलों के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा से संबंधित विषयों पर पेंटिंग एवं पोस्‍टर बनाने की एक प्रतियोगिता भी हुई और लगभग 50 पेंटिंग का चयन किया गया और परीक्षा पे चर्चा 2020 के दौरान प्रधानमंत्री के समक्ष उन्‍हें प्रदर्शित किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्यार्थियों को इस दशक के विशेष महत्‍व के बारे में बताते हुए कहा कि वर्तमान दशक की उम्‍मीदें एवं आकांक्षाएं उन बच्‍चों पर निर्भर हैं जो देशभर के स्‍कूलों में अपने अंतिम वर्ष की शिक्षा पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा देश इस दशक में जो भी हासिल करेगा, उसमें 10वीं, 11वीं एवं 12वीं कक्षाओं के मौजूदा विद्यार्थियों को अत्‍यंत अहम भूमिका निभानी है, देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना और नई उम्‍मीदों को पूरा करना, यह सब नई पीढ़ी पर ही निर्भर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही वह विभिन्‍न आयोजनों एवं कार्यक्रमों में भाग लेते हों, लेकिन जो कार्यक्रम उन्‍हें दिल से प्रिय है वह ‘परीक्षा पे चर्चा’ ही है। उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री होने के नाते उन्हें विभिन्‍न प्रकार के कार्यक्रमों में भाग लेना पड़ता है, इस तरह के संवाद के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिलता है, इनमें से प्रत्‍येक संवाद के दौरान नए-नए अनुभव होते हैं, लेकिन यदि कोई उनसे किसी एक ऐसे कार्यक्रम के बारे में पूछता है, जो उनके दिल को सर्वाधिक प्रिय है तो यह कोई और नहीं, बल्कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ ही है। उन्होंने कहा कि उन्हें हैकाथॉन में भाग लेना भी प्रिय है और इस तरह के आयोजन भारत के युवाओं की अद्भुत क्षमता एवं प्रतिभा को पूरी दुनिया के सामने लाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक विद्यार्थी ने अध्‍ययन या पढ़ाई में रुचि घट जाने से संबंधित सवाल पूछा तो उन्हेंने कहा कि अक्‍सर कई ऐसे कारणों से विद्यार्थियों का उत्‍साह घट जाता है, जो उनके वश में नहीं होता है, इसका एक कारण यह भी है कि वे अपनी अपेक्षाओं को बहुत अधिक महत्व देने की कोशिश करने लगते हैं। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से उत्‍साह घट जाने के कारण का पता लगाने को कहा और इसके साथ ही इस बात पर मंथन करने को कहा कि आखिरकार इन परिस्थितियों से कैसे निपटा जाना चाहिए? उन्‍होंने चंद्रयान एवं इसरो की अपनी यात्रा से जुड़े हालिया वृतांत का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रेरणा और उत्‍साह घट जाना अत्‍यंत सामान्‍य बात है, प्रत्‍येक व्‍यक्ति को इन भावनाओं से गुजरना पड़ता है। उन्‍होंने कहा कि हमें विफलताओं को गहरे झटकों अथवा बड़े अवरोधों के रूपमें नहीं देखना चाहिए, हम जीवन के प्रत्‍येक पहलू में उत्‍साह को शामिल कर सकते हैं, किसी भी तरह का अस्‍थायी झटका लगने का मतलब यह नहीं है कि हम जीवन में सफल नहीं हो सकते हैं, दरअसल कोई भी झटका लगने का मतलब यही है कि अभी सर्वोत्तम हासिल करना बाकी है, हमें अपनी व्यथित परिस्थितियों को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम बढ़ाने के रूपमें बदलने की कोशिश करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदाहरण दिया कि वर्ष 2001 में भारत-ऑस्‍ट्रेलिया के बीच हुए क्रिकेट मैच के दौरान राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्‍मण ने किस तरह से अत्‍यंत कठिन परिस्थितियों में जुझारू बैटिंग करके भारत को हार के खतरे से बाहर करके शानदार जीत दिलाई थी। प्रधानमंत्री ने एक और उदाहरण दिया कि किस तरह से भारतीय गेंदबाज अनिल कुंबले ने स्‍वयं को लगी गहरी चोट के बावजूद शानदार प्रदर्शन कर भारत का गौरव बढ़ाया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही सकारात्‍मक प्रेरणा की अद्भुत ताकत है। पाठ्येतर गतिविधियों और अध्‍ययन में संतुलन स्‍थापित करने से संबंधित एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी के जीवन में पाठ्यक्रम के साथ-साथ अन्‍य गतिविधियों के विशेष महत्‍व को कमतर नहीं आंका जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि पाठ्येतर गतिविधियां न करना किसी भी विद्यार्थी को एक रोबोट की तरह बना सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाठ्येतर गतिविधियों और अध्‍ययन में संतुलन स्‍थापित करने के लिए विद्यार्थियों को समय का बेहतर एवं इष्‍टतम प्रबंधन करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज तरह-तरह के अवसर उपलब्‍ध हैं और युवा इनका सही ढंग से इस्‍तेमाल करें और पूरे जोश के साथ अपने शौक अथवा अपनी रुचि के कार्य को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ें। उन्‍होंने अभिभावकों को आगाह करते हुए कहा कि वे अपने बच्‍चों की पाठ्येतर गतिविधियों को फैशन स्टेटमेंट अथवा विशिष्‍टता न बनने दें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह अच्‍छा नहीं होता है जब बच्‍चों का जुनून अभिभावकों के लिए फैशन स्टेटमेंट बन जाता है। उन्होंने कहा कि पाठ्येतर गतिविधियां तड़क-भड़क से प्रेरित नहीं होनी चाहिएं, हर बच्‍चे को वही करने देना चाहिए, जो वह करना चाहता या चाहती है। परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने तथा क्या अंक ही निर्णायक होते हैं, सम्बंधी प्रश्न पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली विभिन्न परीक्षाओं में हमारे प्रदर्शन के आधार पर सफलता तय करती है, हमारा और हमारे माता-पिता का सारा ध्यान अच्छे अंक प्राप्त करने पर लगा रहता है, इसलिए हम इस दिशा में प्रयास करते हैं। इस सम्बंध में उन्होंने छात्रों से कहा कि वे इस भावना से बाहर निकलें कि परीक्षाओं में सफलता या असफलता ही सबकुछ तय करती है। उन्होंने कहा कि अंक ही जीवन नहीं हैं, इसी तरह हमारे पूरे जीवन का निर्णय परीक्षा नहीं कर सकती, यह आगे बढ़ने का कदम है, अपने जीवन में आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी माता-पिता से आग्रह करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों से यह न कहें कि अंक ही सबकुछ हैं, अगर अच्छे अंक नहीं मिलते तो ऐसा व्यवहार न करें कि आप सबकुछ खो चुके हैं, आप किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं, हमारे यहां अपार अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन वह पूरा जीवन नहीं है, आपको इस मानसिकता से बाहर आना होगा।
प्रौद्योगिकी के महत्व और शिक्षा में उसकी उपयोगिता के प्रश्न पर प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को प्रौद्योगिकी में आधुनिक चीजों के प्रति खुद को परिचित करना चाहिए। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग के खतरों के प्रति सावधान रहें। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का भय अच्छा नहीं होता, प्रौद्योगिकी एक मित्र है, केवल प्रौद्योगिकी का ज्ञान होना पर्याप्त नहीं है, उसका उपयोग भी महत्वपूर्ण है, प्रौद्योगिकी हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है, लेकिन अगर हम उसका दुरुपयोग करेंगे तो उससे हमारे अमूल समय और संसाधनों को नुकसान पहुंचेगा। छात्रों के अधिकारों और अपने कर्तव्यों के प्रति नागरिकों को जागरुक करने के प्रश्न पर प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यक्ति के अधिकार उनके कर्तव्यों में निहित होते हैं। अध्यापक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अध्यापक जब अपने कर्तव्यों का पालन करता है तो वह छात्रों के अधिकारों को पूरा करता है। इस विषय पर राष्ट्रपिता के विचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि कोई मौलिक अधिकार नहीं होता, बल्कि मौलिक कर्तव्य होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करेगा, उस समय छात्र भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने छात्रों से आशा की कि यह पीढ़ी हमारे संविधान में उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों के आधार पर अपने जीवन में काम करेगी। दबाव एवं माता-पिता तथा शिक्षकों की उम्‍मीदों से कैसे निपटा जाए? इसके बारे में प्रधानमंत्री ने माता-पिता से मांग करते हुए कहा कि छात्रों पर दबाव न बनाएं, बल्कि उनका साथ दें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बच्‍चों पर दबाव बनाने की बजाय उनका साथ देने से आगे का रास्‍ता मिलता है, बच्‍चों को ऐसे कार्यों के लिए प्रेरित करें, जिससे उनकी आंतरिक क्षमता मजबूत होती हो। अध्‍ययन के लिए सबसे अच्‍छे समय के बारे में सवाल पर प्रधानमंत्री ने सलाह दी कि पर्याप्‍त आराम करना भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है, जितना कि अध्‍ययन करना। उन्‍होंने कहा कि सुबह में दिमाग उतना ही साफ रहता है, जितना कि वर्षा के बाद आकाश साफ रहता है, किसी छात्र को उसी समयसारणी का अनुसरण करना चाहिए, जो उसके लिए सहज हो। परीक्षा के दौरान एकाएक दिमाग खाली पड़ने के बारे में प्रधानमंत्री ने छात्रों को बताया कि वे अपनी तैयारी पूरी तरह करें। उन्‍होंने कहा कि छात्र तैयारी के बारे में आश्‍वस्‍त रहें, वे किसी तरह के दबाव के साथ परीक्षा भवन में प्रवेश न करें, दूसरे लोग क्‍या कर रहे हैं इससे परेशान न हों, अपने आपमें विश्‍वास रखें और आपने जो तैयारी की है उसपर ध्‍यान दें। भविष्‍य में कैरियर के विकल्‍प के बारे में प्रधानमंत्री ने छात्रों को बताया कि अपने दिल की बात सुनें तथा राष्‍ट्र तथा इसके विकास के प्रति उत्‍साह से कार्य करें। उन्‍होंने कहा कि कैरियर काफी महत्‍वपूर्ण है, प्रत्‍येक व्‍यक्ति को कुछ जिम्‍मेदारी लेनी होती है, हम अपने उत्‍तरदायित्‍वों का निर्वहन करके भी राष्‍ट्र के प्रति हमेशा योगदान कर सकते हैं।
एचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि लगभग 1000 विश्‍वविद्यालयों, 40 हजार से अधिक डिग्री कॉलेजों, 16 लाख स्‍कूलों, एक करोड़ शिक्षकों, 33 करोड़ छात्रों के साथ भारत विश्‍वभर में सबसे बड़ी शैक्षिक प्रणालियों में शामिल है। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देशभर के सभी छात्रों को समग्र एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्‍य से अनेक कदम उठाए हैं। उन्‍होंने परीक्षाओं के कठिन दिन में छात्रों में आत्‍मविश्‍वास जागृत करने तथा चुनौतीपूर्ण वातावरण में उनका तनाव कम करने के उद्देश्‍य से उनके लिए समय निकालने को लेकर प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने कहा कि यह एक गर्व का विषय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में भारत की छवि काफी अच्‍छी हुई है और अब भारत पूरे विश्‍व को अपना नेतृत्‍व प्रदान कर रहा है, चाहे वह जलवायु परिवर्तन का क्षेत्र हो अथवा सौर ऊर्जा अथवा लोकतांत्रिक मूल्‍यों को सशक्‍त बनाने का क्षेत्र हो। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्‍व में भारत आतंकवाद के विरुद्ध आवाज़ उठाने, योगा का प्रचार करने तथा विश्‍व में शांति स्‍थापित करने में अपनी निर्णायक भूमिका अदा कर रहा है। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि सभी के लिए परीक्षा का समय तनावपूर्ण एवं कठिन होता है, किंतु दृढ़शक्ति एवं मानसिक स्थिरता के बल पर हम परीक्षा की चुनौती का सामना कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के सभी राज्‍यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 15 करोड़ से अधिक छात्रों, माता-पिता एवं विश्‍व के 25 देशों के शिक्षकों ने इस कार्यक्रम को देखा और सुना। प्रधानमंत्री के वार्ता कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा-2020’ के तीसरे संस्‍करण के लिए कक्षा 9 से 12 के छात्रों के लिए लघु निबंध में ऑनलाइन प्रतियोगिता शुरु की गई थी। प्रतियोगिता के लिए www.mygov.in के माध्‍यम से प्रवि‍ष्टियां ऑनलाइन आमंत्रित की गई थीं, इसमें 3 लाख से अधिक छात्रों ने पंजीकरण कराया था, जिसमें से 2.6 लाख से अधिक छात्र प्रतियोगिता में शामिल हुए। प्रतियोगिता में 2019 में 1.03 लाख छात्रों ने भाग लिया था।
परीक्षा पे चर्चा-2020 में चयनित विजेताओं ने भाग लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की। ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के मूल विषय थे-कृतज्ञता महत्‍वपूर्ण है : एक ऐसे व्‍यक्ति के बारे में इस बात का उल्‍लेख करते हुए कि एक व्‍यक्ति के प्रति कृतज्ञ क्‍यों है, एक लघु निबंध लिखना, जिसे छात्र यह मानता हो कि उसने उसकी अबतक की शैक्षिक यात्रा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपका भविष्‍य आपकी आकांक्षाओं पर निर्भर है : छात्र खुद के लिए जो लक्ष्‍य एवं कैरियर की आकांक्षा निर्धारित करता है, उसके बारे में एक लघु निबंध लिखना। परीक्षाओं की परख : मौजूदा परीक्षा प्रणाली पर छात्रों की राय तथा आदर्श परीक्षा प्रणाली पर सुझाव। हमारे कर्तव्‍य, आपकी सोच : नागरिकों के कर्तव्‍यों के बारे में निबंध तथा कोई व्‍यक्ति किस प्रकार और अधिक कर्तव्‍यनिष्‍ठ नागरिक बनने के लिए सभी को प्रेरित कर सकता है। संतुलन लाभदायक है : अध्‍ययन के अलावा छात्रों की संतुलित गतिविधियों पर निबंध। समाचार पत्रों एवं इलेक्‍ट्रॉनिक मीडिया ने इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्वीटर, यू-ट्यूब, फेसबुक लाइव, वेबकास्टिंग आदि पर भी यह कार्यक्रम देखा और सुना गया। इसे विदेश में रहने वाले भारतीय समुदाय का भी प्रोत्‍साहन मिला है।

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