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डीआरडीओ की फ्यूचर टेक्नोलॉजीज पर कार्यशाला

कार्यशाला में शिक्षाविदों की कई अवधारणाओं पर प्रस्तुतियां

टेक्नोलॉजीज का शिक्षाजगत के साथ तालमेल बेहद जरूरी

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Thursday 14 November 2019 04:33:09 PM

drdo organises a workshop to increase synergy with academia in defence r&d

नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने 'डीआरडीओ-एकेडमिया इंटरैक्शन फॉर इंप्रूवमेंट इन फ्यूचर टेक्नोलॉजीज' विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य देश में उपलब्ध अकादमिक विशेषज्ञता का लाभ उठाना और शिक्षाजगत के साथ तालमेल बढ़ाना था। कार्यशाला में सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगाने के लिए विभिन्न अवधारणाओं पर चर्चा की गई, ताकि अनुसंधान सीधे रक्षा उत्पादों और अनुप्रयोगों की दिशा में योगदान दे सकें। देश में उपलब्ध शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को उन्नत रक्षा उत्पादों के डिजाइन और विकास में योगदान के लिए रणनीतिक तरीकों पर भी चर्चा की गई।
कार्यशाला में कहा गया कि रक्षा अनुसंधान और विकास में नवाचार को अवशोषित करने की अपार संभावनाएं हैं, जो न केवल अनुसंधान और विकास संगठनों तक सीमित हैं, बल्कि देश के किसी भी कोने से अंकुरित हो सकती है। डीआरडीओ के विशेष रुचि के विषयों पर लक्षित उन्नत अनुसंधान करने हेतु डीआरडीओ के द्वारा भविष्य के रक्षा अनुप्रयोगों की कल्पना करने और उन्हें साकाररूप देने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी के आठ केंद्र की स्थापना पहले से की जा चुकी है। कार्यशाला में प्रख्यात शिक्षाविदों ने डीआरडीओ और अकादमिक संस्थानों के बीच अंतःक्रिया करने के लिए कई अवधारणाएं प्रस्तुत कीं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शिक्षाजगत और रक्षा अनुसंधान एवं विकास के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी उत्कृष्टता राष्ट्रीय गौरव से जुड़ी हुई है और भावी रक्षा अनुप्रयोगों के लिए अकादमिक विशेषज्ञता का उपयोग करने हेतु निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने इस अवसर पर भावी तैयारी के लिए उन्नत प्रणोदन, टेराहर्ट्ज टेक्नोलॉजीज, एडवांस्ड रोबोटिक्स, साइबर टेक्नोलॉजीज, परिमाण प्रौद्योगिकियों जैसी तीव्र सामाग्री के क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आह्वान किया। उन्होंने डीआरडीओ और शिक्षाविदों जैसे कोर्स प्रोजेक्ट्स, असाधारण अनुसंधान परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी विकास निधि, निर्देशित अनुसंधान परियोजना और कलाम नवोन्मेष पुरस्कार आदि के बीच संबंधों के लिए विभिन्न मौजूदा तंत्रों के बारे में बात की। डॉ जी सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ रक्षा अनुसंधान और विकास की मुख्यधारा में शिक्षाजगत की भागीदारी को सक्षम बनाने के लिए व्यवसाय के और मॉडल लाने के लिए तैयार है। उन्होंने प्रस्ताव किया कि प्रौद्योगिकीय उत्पादन में वृद्धि और रक्षा उत्पादों में इसके उपयोग के लिए दोनों पक्षों की जवाबदेही के साथ व्यवसाय के मॉडलों पर काम करने की आवश्यकता है। शिक्षाजगत से प्रस्तावों और विचारों का स्वागत है।
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में सचिव (उच्चशिक्षा) आर सुब्रमण्यम ने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के त्वरित विकास के लिए सभी हितधारकों के बीच पारिस्थितिकी प्रणाली और प्रभावी तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आगे का रास्ता विकसित करने के लिए संयुक्त कार्यदल का प्रस्ताव रखा। मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय में अपर सचिव राजेश सरवाल, आईआईटी दिल्ली, जोधपुर, वाराणसी, पलक्कड़, गुवाहाटी के निदेशक, एनआईटी जयपुर, भोपाल, कालीकट, दिल्ली और कुरुक्षेत्र के निदेशक, हैदराबाद, जाधवपुर, मिजोरम और भारतियार विश्वविद्यालयों के कुलपति, महानिदेशक (संसाधन एवं प्रबंधन तथा सिस्टम विश्लेषण एवं मॉडलिंग), महानिदेशक (प्रोद्योगिकी प्रबंधन), महानिदेशक (मानव संसाधन), महानिदेशक (जीव विज्ञान), डीआरडीओ से महानिदेशक (सूक्ष्म इलेक्ट्रोनिक्स उपकरण, कंप्यूटेशनल सिस्टम्स एंड साइबर सिस्टम्स) और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि भी विचार-विमर्श के दौरान उपस्थित थे।

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