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गृह राज्यमंत्री ने एनएचआरसी पर मांगा समर्थन

लोकसभा में मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक पारित

'एनएचआरसी को अधिक समावेशी और कुशल बनाया जाएगा'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 19 July 2019 05:55:31 PM

minister of state for home nityanand rai

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने आज लोकसभा में मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पेश किया और कहा कि एनएचआरसी को और अधिक समावेशी एवं कुशल बनाने के लिए संसद सदस्यों को सरकार का समर्थन करने के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने बताया कि मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम-1993 को मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, राज्य मानव अधिकार आयोग और मानव अधिकार न्यायालयों के गठन हेतु उपबंध करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि एनएचआरसी ने कुछ वैश्विक प्लेटफार्मों पर उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए अधिनियम में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए हैं, इसके अलावा कुछ राज्य सरकारों ने अधिनियम में संशोधन के लिए भी प्रस्ताव दिया है, क्योंकि उन्हें संबंधित राज्य आयोगों के अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों को खोजने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जो मौजूदा पद के लिए पात्रता मानदंड के कारण हैं। नित्यानंद राय ने कहा कि पेरिस सिद्धांत के आधार पर इस प्रस्तावित संशोधन से आयोग और साथ ही राज्य आयोगों को भी उनकी स्वायत्तता, स्वतंत्रता, बहुवाद और मानव अधिकारों के प्रभावी संरक्षण तथा उनका संवर्धन करने हेतु बल मिलेगा। बहरहाल लोकसभा में मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पारित किया जा चुका है।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि मानव अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 के अंतर्गत भारत के मुख्य न्यायमूर्ति के अतिरिक्त किसी ऐसे व्यक्ति, जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश रहा है, को भी आयोग के अध्यक्ष के रूपमें नियुक्ति हेतु पात्र माना जा सकता है। आयोग के सदस्यों की संख्या को दो से बढ़ाकर तीन किया जा सकेगा, जिनमें से एक सदस्य महिला होंगी। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और दिव्यांगजन सम्बंधी मुख्य आयुक्त को भी आयोग के सदस्यों के रूपमें सम्मिलित किया जा सकेगा। आयोग और राज्य आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की पदावधि को पांच वर्ष से कम करके तीन वर्ष किया जा सकेगा और वे पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र से भिन्न अन्य संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा निर्वहन किए जा रहे मानव अधिकार सम्बंधी मामलों को राज्य आयोगों को प्रदत्त किया जा सकेगा, दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र के सम्बंध में आयोग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।

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