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स्वतंत्र देव सिंह के सामने तालमेल की चुनौतियां!

सामने है उपचुनाव और इसके बाद 2022 में विधानसभा का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का सोशल इं‌जीनियरिंग कार्ड

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 18 July 2019 06:24:43 PM

svatantr dev singh

लखनऊ/ नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में स्वतंत्र देव सिंह को उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाकर अपनी उस सोशल इं‌जीनियरिंग पर मुहर लगाई है, जिसके बल पर भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन और कांग्रेस को बुरी तरह पराजित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संगठनात्मक तौरपर आजमाए उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के कुर्मी समाज के कुशल संगठनकर्ता के रूपमें विख्यात स्वतंत्र देव सिंह एक ऐसे नेता हैं, जो एक साथ कई चुनौतियों का जवाब माने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में परिवहन मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार के रूपमें भी स्वतंत्र देव सिंह ने अच्छा काम किया है, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर उनकी नियुक्ति से सिद्ध हुआ है कि उत्तर प्रदेश में पिछड़ों का एक और अवतार हो गया है।
स्वतंत्र देव सिंह न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद हैं, अपितु वह एक ऐसे नेता माने जाते हैं, जिनके पीछे कोई विवाद और लोकापवाद नहीं है। उन्हें संगठन प्रबंधन का अच्छा अनुभव माना जाता है, जिसका परिणाम मध्यप्रदेश में भाजपा के सफल चुनाव प्रभारी के रूपमें सामने आ चुका है। वह शांत स्वभाव के और सबको साथ लेकर चलने में शुमार हैं। वे पिछड़ों की राजनीति पर उसी प्रकार प्रभाव रखते हैं, जिस प्रकार भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का है। केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में भी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भाजपा को प्रचंड सफलता मिल चुकी है। स्वतंत्र देव सिंह के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनते ही उनके सामने फिलहाल उत्तर प्रदेश में विधानसभा की बारह सीटों के उपचुनाव में सफलता प्राप्त करने की चुनौती है। इसके बाद उन्हें 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जाना है।
उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में जो गठबंधन हुआ था, उसका हस्र सभी को मालूम है। यह दोनों दल अब अपने अस्तित्व के संघर्ष में खड़े हैं। उत्तर प्रदेश के पिछड़ों और अति पिछड़ों ने इस गठबंधन को ध्वस्त किया है, जिसमें यह तथ्य सामने आया कि भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने जिस प्रकार इन वर्गों के बीच में विश्वास हासिल किया है, उसे चुनौती देने की शक्ति अब सपा-बसपा में नहीं रही है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़े वर्ग के जो छत्रप खड़े किए हुए हैं, उससे इन वर्गों में भाजपा के प्रति विश्वास बढ़ा है और वह चट्टान की तरह भाजपा के लिए खड़े हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में संपूर्ण विपक्ष की चारों तरफ से घेराबंदी की हुई है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में रुहेलखंड में बरेली के पिछड़ी और ज़मीनी राजनीति के कद्दावर नेता धर्मपाल सिंह ने भी उस क्षेत्र में भाजपा के झंडे गाड़े हैं। बहरहाल स्वतंत्र देव सिंह भाजपा की सफलताओं के लिए किन रणनीतियों को अंजाम देंगे यह आनेवाला समय तय करेगा, ‌फिलहाल उन्हें अपना संगठन पुर्नगठित करना है, जिसमें कौन चेहरे होंगे, इसपर नज़र है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व डॉ महेंद्रनाथ पांडेय उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे, जिन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। भाजपा में एक व्यक्ति एक ही पद का सिद्धांत चला आ रहा है, इसलिए देरसवेर स्वतंत्र देव सिंह को भी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा, तभी वह भाजपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी को और अच्छी तरह निभा पाएंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार है और योगी आदित्यनाथ एवं स्वतंत्र देव सिंह के बीच तालमेल की भी कड़ी परीक्षा होनी है। लोकापवाद यह है कि योगी सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा संगठन के बहुत से लोगों की शिकायत है कि सरकार में उनकी सुनवाई नहीं होती है, जिस कारण वे क्षेत्र में भाजपा सरकार और संगठन के अनुकरणीय क्रियाकलापों का सही से प्रचार-प्रसार नहीं कर पाते हैं। स्वतंत्र देव सिंह को इस चुनौती से निपटना होगा और ऐसा करने में विफल होने के उन्हें कई जोखिम झेलने पड़ सकते हैं। स्वतंत्र देव सिंह के लिए एक सुखद पक्ष यह है कि उनके सामने विपक्ष की हालत खराब है, जिसका वे बेहतर रणनीतियों से लाभ उठा सकते हैं, जिसमें यह पक्ष सर्वाधिक महत्वपूर्ण है कि स्वतंत्र देव सिंह को कितने अधिकार हासिल हैं।

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