बाबू जगजीवन राम स्पष्ट कहा करते थे-‘मुझे तो यहां पर कोई भी हिंदू नहीं दिखाई देता, यहां तो सिर्फ जातियां हैं और वे भी छोटी-छोटी उपजातियों में बंटी हुई हैं। हिंदू तो जातियों का समूह है, जो एक-दूसरे को न केवल ऊंचा-नीचा मानता है, बल्कि उनमें गहरी खाई और अविश्वास भी है।’ यह कथन आज भी उतना ही प्रासंगिक है कि देश में लोकतंत्र के स्थान...
पिछले डरबन सम्मलेन और अब इस रियो+20 सम्मेलन में भारत उस तरह मुखर नहीं नज़र आया है। तेजी से विकसित हो रहे चार देशों के ‘बेसिक’ समूह में अब ब्राजील और चीन के प्रतिनिधि ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं, हमारी स्थिति लगता है, बस चौथे देश दक्षिण अफ्रीका से बेहतर रह गई है! विचित्र बात यह है कि ख़तरनाक ग्रीनहाउस गैसों का प्रसार दुनिया में...
ओबामा ने यह स्वीकार किया कि चुनाव में कांटे की टक्कर होगी, फिर भी माना जा रहा है कि ओबामा ने काफी काम किया है, जिससे अमरीकी जनता ओबामा को उनकी देश के प्रति उपलब्धियों को देखते हुए एक और अवसर देने जा रही है। एक टर्म किसी देश की समस्या को पूर्णंरूप से सुलझाने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। निःसन्देह उन्होंने अमेरिकी जनता के...
दुनिया की हर सभ्यता में कहानी एक प्रमुख माध्यम रहा है, जिससे नीति, धर्म, लोक विश्वास, लोक व्यवहार, पारंपरिक और सांस्कृतिक ज्ञान पीढ़ी दर पीढ़ी संचरित होता रहा है। कहानी कहना मनुष्य की सहज कलात्मक वृत्ति है, इसलिए इसकी रक्षा करना अपने आप में एक सांस्कृतिक दायित्व को निभाना है वे कहते हैं-‘कहानी जीवन की छोटी से छोटी घटना...
लादेन का मारा जाना अमरीकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के लिए वरदान बना है तो पाकिस्तान के लिए नरक बन गया है। अमेरिका दस साल से जो ख़बर सुनना चाहता था वह उसे ओबामा से मिली है इसलिए ओबामा का दोबारा से अमरीका का राष्ट्रपति होने का सपना पूरा समझिए। पाकिस्तान दुनिया के सामने दस साल तक झूठ बोलता रहा और आखिर अमेरिका ने उसके घर...
धरती पर अनियंत्रित विकास एवं प्राकृतिक संसाधनों के क्षमता से अधिक दोहन के दुष्परिणामों का कोई अंत नहीं हुआ है। जापान का यह विनाश दुनिया के लिए एक और चेतावनी भर है जिसमें यह संदेश बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि दुनिया में ऐसे ही विकास की होड़ और आंधी चलती रही तो किसी दिन पूरी दुनिया सोती ही रह जाएगी और धरती और पाताल का पता भी नहीं...
इक्कीसवीं सदी में किसी एक व्यक्ति का शासन लोगों को स्वीकार नहीं हो सकता। अरब देशों के बाद अब बारी है अफ्रीका के उन देशों की जहां के लोगों का शोषण इस युग में भी चरम सीमा पर हो रहा है। इन शासकों को तुरंत लोकतंत्रवाद की घोषणा करना अनिवार्य है, जिससे वे स्वयं को भी राजनीतिक तौर पर सुरक्षित रख सकते हैं और अपने देश को भी। आज भारत...
अमरीका में रह रहे भारतीयों में अब यह बात उठ रही है कि अमरीकी अर्थव्यवस्था में उनके गैर भारतीय मुल्कों से भी ज्यादा उल्लेखनीय योगदान के बावजूद भारतीयों के साथ सबसे ज्यादा नस्लीय भेदभाव और उन पर भद्दी नस्लीय टिप्पणियां बढ़ती जा रही हैं। भारतीय समुदाय को खुलेआम कॉकरोच, बोदा, बिकाऊ और लालची तक कहा जाने लगा है। अमरीका में भारतीयों को कोई चाहे कितना बुरा कहकर चला जाए इसका कोई संज्ञान नहीं...
ह्वाइट हाउस, इस युग में अमरीका की शक्ति और उसके स्थायित्व का चरम प्रतीक है। यहां राष्ट्रपति आते हैं और जाते हैं, ये उस स्थान में रहते हैं जिसे हर अमरीकी को अपना समझने का पूरा अधिकार है। जॉन ऐडम्ज़ ने इस भवन में अपने निवास की दूसरी रात को लिखा था- 'प्रभु से मेरी प्रार्थना है कि यहां आने वाले सभी महानुभावों पर आपका वरदहस्त बना...
संजीव मेहता आज भारत को 63वें स्वतंत्रता दिवस पर तोहफ़े के रूप में भारत की जनता को ईस्ट इंडिया कंपनी पेश करते हैं। ईस्ट इंडिया के क़रीब तीस से चालीस मालिक थे। संजीव मेहता ने एक-एक को ढूंढ कर कंपनी के मालिक़ाना हक़ अपने नाम करवाए। अगले साल संजीव ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत लाने की योजना बना रहे हैं। यानि कि चक्र पूरा होगा और...
भारत में सत्ता के कमज़ोर नेतृत्व और देश में राष्ट्रीय एकता अखण्डता जैसे मुद्दों पर भी यहां के राजनीतिक दलों में गहरी मतभिन्नता का आखिर कहीं तो नुकसान होना ही है और वह हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारत की क्या हैसियत है और शक्तिशाली देश भारत को कितनी तवज्जोह देते हैं यह अमेरिका-चीन की संयुक्त विज्ञप्ति से पता...
चीन की साम्राज्यवादी सोच सुरसा मुख की तरह बढ़ रही है। पड़ोसी देशों में उसकी अनधिकृत घुसपैठ को कमोवेश इसी रूप में देखा जा सकता है। वह जिस तरह नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान की भारत विरोधी सोच को हवा दे रहा है, यह इस बात का द्योतक है कि उसे फाह्यान और ह्वेनसांग के सपनों का गौरवशाली भारत पसंद नहीं है। पड़ोसी देशों...
नेगारा के नेशनल पार्क और सुमात्रा (इंडोनेशिया) के गुनुंग ल्युसर नेशनल पार्क जैसे, दक्षिण पूर्वी एशिया के अनछुए वर्षा वनों की अंधेरी रात का रहस्य व भयानकता इतनी गूढ़ होती है कि उसके समक्ष अदृष्ट और अज्ञात का रहस्य भी फीका पड़ जाता है। फिर भी वन्य जीवन के शौकीनों के लिए इससे बेहतर स्थान और समय कोई दूसरा नहीं हो सकता।...
पाकिस्तान को एक बेचारा पाकिस्तान कहें तो यह अतिश्योक्ति नही होगी। विशेषज्ञों की राय है कि सत्ताधारी वर्ग एवं सरकार की शोषक नीतियों गरीबी, बेरोजगारी, खाद्यान्न संकट, अत्याचार, सामंतवादी व्यवस्था, सैन्य तानाशाही और सबसे बढ़कर आतंकवाद ने पाकिस्तान को एक विफल राष्ट्र के रूप में ख्ाड़ा कर दिया है।...
हालांकि जिन्ना मुसलमानों के अधिकारों और स्वाधीनता का ही प्रतिनिधित्व करते थे लेकिन वह रूढि़वादी कभी नहीं रहे। कुछ लोगों ने इसी रूप में जब उनका अभिनंदन किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं तुम्हारा धार्मिक नेता नहीं हूं।’ निस्संदेह हमें जश्न कायद जैसा दूसरा लीडर नहीं मिल सकता।...